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'पीएम मोदी ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया', सनातन धर्म वाली टिप्पणी पर उदयनिधि की सफाई

तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर अपने भाषण को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया.

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Om Pratap
Udhayanidhi Stalin remarks on Sanatana Dharma

Udhayanidhi Stalin remarks on Sanatana Dharma: सनातन धर्म विवाद पर विवादित बयान देने वाले तमिलानाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की अब सफाई आई है. उदयनिधि स्टालिन ने कहा है कि भाजपा और पीएम मोदी ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया. 

करूर जिले में रविवार को एक युवा कैडर मीटिंग को संबोधित करते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मेरे भाषण को तोड़-मरोड़ कर लोगों तक पहुंचाया. उदयनिधि स्टालिन ने कहा, “उन्होंने (पीएम मोदी) कहा कि मैंने नरसंहार का आह्वान किया है, लेकिन मैंने ऐसा कुछ भी नहीं बोला है.

उदयनिधि का आरोप- पीएम ने ऐसी बातें कही, जो मैंने कभी कहा ही नहीं

उदयनिधि ने कहा कि पीएम मोदी ने ऐसी बातें कही, जो मैंने कभी नहीं बोली है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि मैं एक सम्मेलन में पहुंचा था, जहां मैंने तीन मिनट तक बोला था. मैंने कहा कि बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है, तो भेदभाव को खत्म किया जाना चाहिए. 

उदयनिधि के बयान को लेकर भारी विरोध-प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि किसी बाबा ने 5-10 करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की थी. फिलहाल मामला कोर्ट में चल रहा है और मुझे कोर्ट पर भरोसा है. उन्होंने कहा कि मुझसे अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी माँगने को कहा गया, लेकिन मैंने कहा कि मैं माफी नहीं मांग सकता. मैंने कहा कि मैं स्टालिन का बेटा, कलैग्नार का पोता हूं और मैं केवल उनकी विचारधारा का समर्थन कर रहा था.

उदयनिधि स्टालिन ने क्या कहा था?

सितंबर में, उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के खिलाफ विवादित बयान दिया था. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना मच्छर, डेंगू, मलेरिया, बुखार और कोरोना से की थी. उनके बयान के बाद भाजपा ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी. भाजपा आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने कहा था कि उदयनिधि का बयान यहूदियों के बारे में हिटलर के विचारों के सामान था.

मद्रास हाईकोर्ट ने भी उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी के लिए उन्हें कड़ी फटकार लगाई और मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए पुलिस की आलोचना की. हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को विभाजनकारी विचारों को बढ़ावा देने या किसी विचारधारा को खत्म करने का अधिकार नहीं है.