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हिमाचल प्रदेश क्रिप्टोकरेंसी घोटाले में हजारों निवेशकों ने कैसे गंवाए करोड़ों रुपये?

क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड घोटाले में जालसाजों की साजिश में 2000 करोड़ रुपये का घोटाला होने का अनुमान है. SEBI और RBI जैसी एजेंसियों से भी मदद की गुहार

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Antriksh Singh
हिमाचल प्रदेश क्रिप्टोकरेंसी घोटाले में हजारों निवेशकों ने कैसे गंवाए करोड़ों रुपये?

पुलिस के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड घोटाले में जालसाजों की साजिश में 2000 करोड़ रुपये का घोटाला होने का अनुमान है. एसआईटी, कितना वित्तीय लेनदेन हुआ और कितनी राशि आरोपियों द्वारा जमा की गई है का पता लगाने के लिए फाइनेंस मिनिस्टरी और इनकम टैक्स की वित्तीय खुफिया यूनिट (एफआईयू) से मदद की मांग कर रही है. वह SEBI और RBI जैसी एजेंसियों से भी मदद की मांग कर रही है.

कब से चल रहा था स्कैम

पुलिस से पता चला है की 2018 से पिछले पांच सालों से लगातार धोखेबाज हिमाचल प्रदेश में सक्रिय है जिन्होंने कई निवेशकों का 400 करोड़ रुपये का घोटाला किया है. लेकिन पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गहराई से जांच करने के बाद यह घोटाला 2,000 करोड़ रुपये का होने का अनुमान लगाया है. आरोपियों द्वारा जमा की गई कुल  संपत्ति का पता लगाने के लिए वित्त मंत्रालय और इनकम टैक्स से मदद मांगी गई है.

कैसे जाल में फंसाया लोगों को

इस घोटाले के दो आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया है. जिन्होंने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी 'Korvio KRO' लॉन्च की थी और लोगों को डिजिटल करेंसी में इन्वेस्ट करने से ज्यादा रिटर्न मिलेगा का लालच देकर उनको लुभाया था. यह एक मल्टी लेवल मार्केटिंग (MLM) योजना थी जो पूरे हिमाचल और बाहरी क्षेत्रों में फैली हुई थी. पुलिस जांच से पता चला है कि लाखों लोगों ने डिजिटल करेंसी में निवेश किया है. अकेले हिमाचल प्रदेश में 2.5 लाख से अधिक आईडी बनाई गई है. कुछ लोगों ने तो एक से अधिक आईडी के जरिए पैसे इनवेस्ट किए है. जहां कुछ लोगों ने योजना में एजेंट बनने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी वहीं कुछ ने निवेश करने के लिए ऋण भी लिया है. इन लोगों को उच्च रिटर्न का लालच दिया गया था. पांच पुलिसकर्मी, जिनमें से दो साइबर सेल में काम करते थे, एजेंट बनने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी. कुछ लोगों को पैसा दोगुना करने का लालच दिया था. हालांकि जैसे-जैसे जालसाजों ने अपना नेटवर्क बढ़ाया तो इन्वेस्टर्स को रिटर्न मिलना बंद हो गया. जब उन्होंने अपना पैसा मांगा तो आरोपियों ने उनकों अन्य करेंसी में पैसा निवेश करने का लालच दिया. जहां ऊंचे पद पर बैठे लोगों ने अधिक संपत्ति अर्जित की है वहीं आम लोगों ने सब कुछ खो दिया है.

कैसे हुआ खुलासा

धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब कांगड़ा जिले के देहरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने सितंबर में हिमाचल प्रदेश के विधानसभा मानसून सत्र के दौरान मामला उठाया. तब उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि दो वर्षों में प्रदेश में क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी की 58 से अधिक शिकायत प्राप्त हुई है. घोटाले की गहन जांच के लिए एसआईटी गठित करने की घोषणा की थी.

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मु्ख्य आरोपी कौन है

इस घोटाले के दो मुख्य आरोपियों में से एक सरकाघाट उपमंडल का मूल निवासी सुभाष शर्मा है, जो मंडी शहर में रहता था वह ही इस रैकेट का मुख्य  सरगना है जो पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा है. उस पर विदेश भागने का संदेह जताया जा रहा है. एक अन्य आरोपी अभिषेक भी फरार है. पुलिस का कहना है कि जल्द ही दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. दो लोगों को गुजरात से गिरफ्तार किया गया है. निवेशकों को लुभाने वाले अन्य सैकड़ों एजेंट भी जांच के दायरे में हैं और उनकी जल्द गिरफ्तारी होगी.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है

क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्रा है. इसको वैरिफाइ करने के लिए किसी बैंक या वित्तीय संस्थान की जरूरत नहीं पड़ती है. इसका उपयोग निवेश और खरीदारी के लिए किया जाता है. यह केवल डिजिटल रूप में मौजूद है. इसका उपयोग मुख्य रूप से ऑनलाइन लेनदेन खरीदारी के लिए किया जाता है. क्रिप्टोकरेंसी परिवर्तनीय हैं, जिसका मूल्य खरीदने, बेचने या व्यापार करने पर समान रहता है.