राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमिटी की बुधवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि 29 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर संसद के दोनों सदनों में विशेष चर्चा की जाएगी. इस बहुप्रतीक्षित मुद्दे पर सरकार ने कुल 16 घंटे का समय निर्धारित किया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बोलने की संभावना है.
दरअसल, विपक्ष की ओर से यह मांग लगातार उठ रही है कि प्रधानमंत्री खुद संसद और देश के सामने इस गंभीर मामले पर अपना पक्ष रखें. सूत्रों के अनुसार, लोकसभा में चर्चा अगले सप्ताह से शुरू हो सकती है और दोनों सदनों में इस मुद्दे पर सर्वसम्मति बन गई है. इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एक बार फिर यह दावा किया गया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने में भूमिका निभाई है, जिससे विपक्ष ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है.
कांग्रेस ने सरकार पर कसा था तंज
कांग्रेस ने केंद्र सरकार की चुप्पी पर तंज कसते हुए कहा है कि जहां ट्रंप 73 दिनों में 25 बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने संघर्ष विराम कराया, वहीं प्रधानमंत्री मोदी अब तक इस पर एक भी बयान नहीं दे पाए हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जो खुद को 'देशभक्त' कहते हैं, वे इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने ट्रंप के इन 25 दावों में से एक का भी जवाब नहीं दिया. कौन है ट्रंप, जो यह कह रहा है कि उसने संघर्ष विराम कराया? यह उसका काम नहीं है. लेकिन प्रधानमंत्री मौन हैं और यह हकीकत है, इससे भागा नहीं जा सकता.”
विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री का चुप रहना न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि इससे देश की संप्रभुता और लोकतंत्र की साख पर भी सवाल उठता है. संसद की यह बहस इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि इससे सरकार को स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखने और विपक्ष को सवाल उठाने का मंच मिलेगा.