Tathagata Roy On CAA: पश्चिम बंगाल भाजपा के सीनियर नेता तथागत रॉय के एक सोशल मीडिया पोस्ट पर विवाद खड़ा हो गया है. मिजोरम और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके तथागत रॉय ने सुझाव दिया गया है कि CAA के तहत भारत की नागरिकता चाहने वाले पुरुष आवेदकों की 'खतना' जांच की जानी चाहिए. रॉय के इस पोस्ट पर ममता बनर्जी की टीएमसी ने सवाल उठाए हैं. टीएमसी ने इसे बेहूदा करार दिया और भाजपा के एजेंडे पर सवाल उठाया.
नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) का उद्देश्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना है. अपने पोस्ट में तथागत रॉय ने कहा कि भारत के पड़ोसी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, बौद्ध या ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता का हकदार माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर किसी शरणार्थी पर शक हो कि वो गैर मुस्लिम नहीं है, तो फिर उसके खतने की जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदू पाए गए किसी पुरुष के साथ जाने वाली सभी महिलाओं को नागरिकता का हकदार माना जाना चाहिए.
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, तथागत रॉय ने कहा कि CAA के तहत आवेदन दाखिल करने वाले व्यक्ति की धार्मिक पहचान का पता लगाने में चुनौतियां हो सकती हैं. एक हिंदू शरणार्थी, जो यातना का सामना करते हुए बांग्लादेश से भाग गया, नागरिकता कैसे हासिल करेगा? CAA के तहत नागरिकता उस हिंदू, बौद्ध या ईसाई को दी जाएगी, जिसे धार्मिक उत्पीड़न के कारण देश से भागना पड़ा हो. यदि उसकी धार्मिक पहचान सुनिश्चित करनी हो तो निर्धारण कारक क्या हो सकता है? खतना एक रास्ता हो सकता है.
तथागत रॉय ने कहा कि मैंने जो सुझाव दिया था कि जब किसी पुरुष के धर्म पर संदेह हो तो उसकी जांच कर ली जाए कि उसका खतना हुआ है या नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि CAA से मुसलमानों को पूरी तरह बाहर रखा गया है. मैंने जो पोस्ट किया, मैं उस पर कायम हूं.
उन्होंने कहा कि बहुत से मुसलमान अपनी फर्जी पहचान दिखाकर खुद को गैर-मुसलमान के रूप में पेश कर सकते हैं. कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने मेडिकल टेस्ट का सामना नहीं किया है. ऐसे में डर है कि कोई मुस्लिम भी जो CAA के तहत नागरिकता के लिए उपयुक्त नहीं है, वो भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है.
इससे पहले एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में भाजपा के सीनियर नेता ने आरोप लगाया कि CAA को लेकर ममता बनर्जी की TMC अफवाह फैला रही है. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को ये स्पष्ट करना चाहिए कि जो हिंदू बिना किसी कागजात के भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता कैसे मिलेगी? उन्होंने पूछा कि ऐसी स्थिति कई लोगों के साथ होगी, ऐसे में किसे नागरिकता का हकदार माना जाएगा.
इसी पोस्ट में उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि शरणार्थी पुरुष के धर्म का परीक्षण खतना या और किसी विधि से होना चाहिए. जो भी पुरुष इस प्रक्रिया में हिन्दू पाए जाते हैं, उनके साथ आने वाली महिलाओं को भी हिन्दू माना जाए.
भाजपा नेता ने ये भी कहा कि हिंदू, बौद्ध और ईसाइयों के नागरिकता आवेदन यदि किसी कारण से खारिज कर दिए गए हैं, तो उन्हें यहां रहने दिया जाए. साथ ही उन्हें स्पष्ट रूप से ये बताया जाए कि उनको किसी भी तरीके से डिटेंशन कैम्प में नहीं भेजा जाएगा. जो इस तरह की बातें कर रहे हैं, वो महज अफवाह है.