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'अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी...', SIR के दौरान BLOs को मिल रहीं धमकियों पर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने SIR 2.0 के दौरान BLOs और अधिकारियों को मिल रही धमकियों को बेहद गंभीर बताया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से हर बाधा और धमकी की घटना को तुरंत उसके ध्यान में लाने को कहा है.

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Edited By: Km Jaya
Supreme Court India daily
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR 2.0 के दौरान ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स यानी BLOs और अन्य अधिकारियों को मिल रही धमकियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. अदालत ने साफ कहा कि ऐसे मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और चुनाव आयोग को हर बाधा और सहयोग की कमी के मामलों को तुरंत कोर्ट के संज्ञान में लाना चाहिए. 

अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर स्थिति पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो अराजकता फैल सकती है. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए राज्यों से भी जरूरी सहयोग देने की अपेक्षा जताई है. सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि कई जगहों पर BLOs को धमकाया जा रहा है और उनके काम में रुकावटें डाली जा रही हैं. 

सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने और क्या कहा?

उन्होंने कहा कि अगर हालात बिगड़ते हैं तो चुनाव आयोग के पास पुलिस को अपने डेप्युटेशन पर लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा लेकिन यह अधिकार राज्य सरकार के दायरे में आता है. इस पर जस्टिस बागची ने कहा कि चुनाव आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू होने तक पुलिस को अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं ले सकता हालांकि आयोग के पास संवैधानिक शक्तियां मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है.

जस्टिस सूर्यकांत ने क्या कहा?

जस्टिस सूर्यकांत ने द्विवेदी से कहा कि स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है और अगर इस पर काबू नहीं किया गया तो अराजकता फैलने की आशंका बढ़ जाएगी. उन्होंने चुनाव आयोग से कहा कि बाधाओं और धमकियों की हर घटना को तुरंत कोर्ट के सामने लाया जाए ताकि जरूरी आदेश दिए जा सकें. वकील द्विवेदी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में तनाव की स्थिति के बावजूद BLOs के आत्महत्या करने की कोई बात सही नहीं है क्योंकि उन्हें 30 से 35 वोटरों के छह से सात घरों की गिनती का काम करना होता है. 

जस्टिस बागची ने इस पर क्या टिप्पणी की?

इस पर भी जस्टिस बागची ने टिप्पणी की कि BLOs का काम दिखने में जितना आसान लगता है उतना है नहीं क्योंकि उन्हें घर-घर जाकर फॉर्म भरने होते हैं और फिर उन्हें ऑनलाइन अपलोड करना होता है. पिटीशनर्स की ओर से पेश सीनियर वकील वी गिरी ने बताया कि SIR प्रक्रिया में लगे BLOs और अन्य अधिकारियों को हिंसा, धमकियों और डराने की घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है. 

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इन अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए साफ किया है कि SIR प्रक्रिया के दौरान काम कर रहे अधिकारियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.

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