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India Daily

'जो हो सकेगा करेंगे', निमिषा प्रिया मामले में सुप्रीम कोर्ट से बोला केंद्र, 14 अगस्त को अगली सुनवाई

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 को यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में सुनवाई को 14 अगस्त तक के लिए टाल दिया.

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Edited By: Garima Singh
Nimisha Priya case
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Nimisha Priya case: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 को यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में सुनवाई को 14 अगस्त तक के लिए टाल दिया. इस स्थगन से निमिषा की फांसी को रोकने के लिए कूटनीतिक और कानूनी प्रयासों को और समय मिला है. इससे पहले, भारतीय अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद 16 जुलाई को उनकी निर्धारित फांसी को स्थगित किया गया था. यह मामला न केवल एक भारतीय नागरिक की जिंदगी से जुड़ा है, बल्कि यमन जैसे जटिल भू-राजनीतिक क्षेत्र में भारत की कूटनीतिक क्षमताओं की भी परीक्षा है.

सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने भारत सरकार के प्रयासों की समीक्षा की. पीठ ने स्वीकार किया कि सरकार इस मामले में "हर संभव" कोशिश कर रही है. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने अदालत को बताया, "यमन में नागरिक अशांति और भू-राजनीतिक तनाव के कारण स्थिति अत्यंत जटिल है. भारत अपनी कूटनीतिक सीमाओं तक पहुंच चुका है." यमन में औपचारिक राजनयिक संबंधों की कमी और हूती विद्रोहियों का प्रभाव इस प्रक्रिया को और कठिन बना रहा है.

क्षमादान और रक्तदान पर चर्चा

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को सूचित किया कि तत्काल प्राथमिकता निमिषा के लिए क्षमादान प्राप्त करना है. इसके बाद "दयात" या रक्तदान (मुआवजे के रूप में) जैसे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है. हालांकि, पीड़ित परिवार के साथ मुआवजे की बातचीत में पहले भी जटिलताएं सामने आई थीं, जिसके कारण प्रक्रिया में देरी हुई. याचिकाकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि भारत सरकार को इस संवेदनशील मामले में तेजी से कदम उठाने चाहिए.

निमिषा प्रिया: पृष्ठभूमि और मामला

केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था. 2020 में यमनी अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, और नवंबर 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी. वर्तमान में, वह हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाली यमनी राजधानी सना की जेल में बंद हैं.

परिवार और समुदाय की कोशिशें

निमिषा की मां प्रेमकुमारी ने पिछले साल अपनी बेटी की रिहाई के लिए यमन का दौरा किया था. इसके अलावा, केरल के एक प्रमुख सुन्नी धर्मगुरु ने यमनी धार्मिक विद्वानों से हस्तक्षेप की अपील की थी. हालांकि, यमन में चल रहे गृहयुद्ध और राजनयिक सीमाओं ने इन प्रयासों को बाधित किया है. फिर भी, निमिषा का परिवार और समर्थक उनकी रिहाई के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं.

कूटनीति पर टिकी उम्मीदें

सर्वोच्च न्यायालय एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें केंद्र सरकार से निमिषा की जान बचाने के लिए सक्रिय कूटनीतिक कदम उठाने की मांग की गई है. सरकार ने भरोसा दिलाया है कि वह विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यमन की अस्थिर स्थिति और सीमित राजनयिक प्रभाव के कारण चुनौतियाँ बरकरार हैं. अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी, और सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि भारत सरकार इस जटिल कूटनीतिक परिदृश्य में कैसे प्रगति करती है. निमिषा प्रिया के परिवार और समर्थकों को उम्मीद है कि समय रहते उनकी रिहाई संभव हो सकेगी.