Supreme Court On Surrogacy Law: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि सरोगेसी अधिनियम, 2021 की उम्र सीमा उन दंपतियों पर लागू नहीं होगी, जिन्होंने इस कानून के लागू होने से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू कर दी थी या जिनके भ्रूण जनवरी 2022 से पहले जमे थे. यह फैसला तीन दंपतियों की याचिकाओं पर आया, जिन्होंने सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन वे 2021 के कानून में निर्धारित उम्र सीमा को पार कर चुके थे.
जस्टिस बी.वी. नागरथना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि जिन दंपतियों ने उस समय भ्रूण जमाए, जब कोई उम्र प्रतिबंध नहीं था, उनके सरोगेसी के अधिकार उस समय निश्चित हो गए थे. इसलिए नया कानून उनकी प्रक्रिया को उम्र के आधार पर रद्द नहीं कर सकता.
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कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि जब प्राकृतिक रूप से बच्चे पैदा करने की कोई उम्र सीमा नहीं है, तो सरोगेसी के लिए उम्र सीमा क्यों होनी चाहिए? हालांकि कोर्ट ने सरोगेसी अधिनियम और सहायक प्रजनन तकनीक अधिनियम, 2021 की पूरी वैधता पर विचार करने से इनकार कर दिया.
सरोगेसी कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
वर्तमान कानून के तहत सरोगेसी के लिए इच्छुक मां की उम्र 23 से 50 वर्ष और पिता की उम्र 26 से 55 वर्ष होनी चाहिए. सरोगेट मां को विवाहित, 25 से 35 वर्ष की, एक जैविक बच्चे वाली और केवल एक बार सरोगेसी करने वाली होना चाहिए. कानून विधवा या तलाकशुदा एकल महिलाओं को 35 से 45 वर्ष की उम्र में सरोगेसी की अनुमति देता है. यह फैसला उन दंपतियों के लिए राहत भरा है, जिन्होंने कानून लागू होने से पहले भ्रूण जमा किए थे. अब वे बिना उम्र संबंधी कानूनी अड़चनों के अपनी सरोगेसी प्रक्रिया जारी रख सकते हैं. कोर्ट ने अगस्त में इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था.