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CAA याचिकाओं पर क्यों मिला केंद्र को 3 हफ्ते का समय, सुप्रीम सुनवाई में क्या-क्या हुआ?

Supreme Court On CAA: सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम सुनवाई हुई है. इस दौरान कोर्ट ने सीएए पर किसी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

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Supreme Court On CAA: नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ दायर 200 से ज्यादा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर फिलहाल किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने को लिए कहा है.

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि इस कानून से किसी की भी नागरिकता नहीं छीनी जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि सीएए के तहत किसी नए व्यक्ति को नागरिकता नहीं दिया जा रहा है और केवल 2014 से पहले भारत आए लोगों को ही नागरिकता देने पर विचार किया जा रहा है.

अगली सुनवाई से पहले नागरिकता नहीं दी जाए- सिब्बल

सुनवाई के दौरान कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट ने अपील करते हुए फिलहाल किसी को नागरिकता नहीं देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर अगली सुनवाई होने तक अगर किसी को नागरिकता दी जाती है तो हम फिर अदालत का रुख करेंगे. वहीं एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील इंदिरा जयसिंह ने भी कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि कोर्ट यह निर्देश दे कि अंतिम फैसला आने तक किसी को नागरिकता नहीं दी जाएगी.

गौरतलब है कि सीएए के खिलाफ 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई है. इन्हीं याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. 

क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)

नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत में शरण लेने आए गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान है. इस कानून के तहत इन देशों के 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदायों के लोग भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.