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India Daily

भारत को मिलेंगे नए CJI, जस्टिस बी.आर. गवई 14 मई को लेंगे शपथ; जानिए उनके बारे में सबकुछ

जस्टिस बीआर गवई भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. वे 14 मई को सीजेआई के रूप में शपथ लेंगे. वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त होंगे और जस्टिस गवई अगले ही दिन कार्यभार संभालेंगे. बता दें कि, वे देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे.

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Edited By: Mayank Tiwari
Bhushan Ramkrishna Gavai
Courtesy: Social Media

भारत के न्यायपालिका इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है. इस कड़ी में वरिष्ठतम सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई 14 मई को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे. फिलहाल, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जो 13 मई को रिटायर हो रहे हैं. उन्होंने परंपरा के अनुसार जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेज दी है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस गवई के न्यायिक करियर में कई अहम फैसले शामिल हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले में उनकी भूमिका खासतौर से उल्लेखनीय रही है.

दूसरे दलित CJI बनने जा रहे हैं जस्टिस गवई

बता दें कि, जस्टिस बी.आर. गवई देश के दूसरे दलित CJI होंगे. हालांकि, इससे पहले 2007 में जस्टिस के.जी. बालकृष्णन को यह सम्मान मिला था. वहीं, महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को जन्मे गवई, दिवंगत सांसद और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के संस्थापक रामकृष्ण गवई के बेटे हैं.

6 महीने का होगा कार्यकाल

64 वर्षीय जस्टिस गवई 24 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे. यानी उनका कार्यकाल लगभग छह महीने का रहेगा. यह अल्पकालिक अवधि होने के बावजूद भारत के न्यायिक इतिहास में उनकी भूमिका अहम मानी जाएगी.

न्यायिक यात्रा की शुरुआत से SC तक का कैसा रहा जस्टिस गवई का सफर

जस्टिस गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत की शुरुआत की थी. महाराष्ट्र सरकार के लिए सरकारी वकील और विशेष अभियोजक के रूप में उन्होंने काम किया. इसके अलावा 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 16 सालों तक अपनी सेवाएं दी. इसके बाद 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया.

राजनीतिक पृष्ठभूमि से भी रहा है जुड़ाव

जस्टिस गवई के पिता रामकृष्ण गवई ने न केवल संसद सदस्य के रूप में अमरावती से प्रतिनिधित्व किया, बल्कि बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी रहे. उनकी राजनीतिक विरासत ने जस्टिस गवई को समाजिक न्याय की गहराई से समझ दी है.