Betting Apps: ऑनलाइन बेटिंग और रियल-मनी गेमिंग ऐप्स की बढ़ती लोकप्रियता ने भारत में सामाजिक और आर्थिक चिंताएं बढ़ा दी हैं. इन ऐप्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई शुरू हो गई है, जहां इस पर बैन लगाने की मांग की गई है. कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसमें अवैध बेटिंग और ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग ऐप्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और इवैंजलिस्ट के.ए. पॉल ने दायर की है. पॉल का दावा है कि ये ऐप्स पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 का उल्लंघन कर रहे हैं और देश के 30 करोड़ से ज्यादा युवाओं के भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स न केवल अवैध हैं बल्कि ये युवाओं में लत, आर्थिक नुकसान और सामाजिक समस्याओं को बढ़ावा दे रहे हैं. पॉल ने दावा किया है कि तेलंगाना में पिछले एक साल में 978 युवाओं ने बेटिंग ऐप्स के कारण आर्थिक तंगी से आत्महत्या की है. इसके अलावा इन ऐप्स का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए भी हो रहा है. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि कई ऐप्स “कौशल आधारित खेल” के नाम पर जुआ को बढ़ावा दे रहे हैं, जो कानून की आड़ में गलत है.
याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया है. पॉल के अनुसार, 29 राज्यों में से केवल चार ने बेटिंग ऐप्स पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए हैं. बाकी राज्य इस समस्या पर चुप्पी साधे हुए हैं. याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार एक व्यापक केंद्रीय कानून बनाए, जो ऑनलाइन बेटिंग और जुए को पूरी तरह नियंत्रित या प्रतिबंधित करे.
याचिका में उन मशहूर हस्तियों पर भी निशाना साधा गया है, जो इन बेटिंग ऐप्स का प्रचार कर रही हैं. पॉल ने बॉलीवुड, टॉलीवुड और क्रिकेट जगत की 25 हस्तियों के खिलाफ तेलंगाना में दर्ज FIR का जिक्र किया. उनका कहना है कि ये सेलेब्रिटी अपनी लोकप्रियता का गलत इस्तेमाल कर युवाओं को गुमराह कर रहे हैं.