IMA President Dr RV Asokan: पतंजलि की कोविड दवा विवाद में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष को टिप्पणी करना भारी पड़ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हे कहा कि सिर्फ एक समाचार एजेंसी में माफीनामा देने से आपकी जिम्मेदारी नहीं पूरी हो सकती है. कोर्ट ने कहा कि जहां-जहां आपके विवादित बयान को प्रमुखता से छापा गया है वहां-वहां आपको माफीनामा प्रकाशित करना होगा. दरअसल, पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले को लेकर IMA के अध्यक्ष डॉ. आर.वी. अशोकन ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपमानजनक टिप्पणी की थी. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाते हुए माफी मांगने को कहा था.
अब अदालत ने उनके माफीनामे पर नाराजगी व्यक्त करते हुए फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सिर्फ पीटीआई में माफीनामा छपवाकर आप पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं. आपको अपने पैसों से माफीनामा छपवाना होगा.
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि डॉ. अशोकन अपने लिए और अधिक मुसीबत को आमंत्रित कर रहे हैं. इस मामले में आईएमए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. पटवालिया ने कोर्ट से कहा कि उनके क्लाइंट कोर्ट की अवमानना से मुक्त होने के लिए उचित कदम उठाएंगे.
जस्टिस कोहली ने कहा- "जिन- जिन प्रमुख अखबारों ने आईएमए अध्यक्ष डॉ. अशोकन के टिप्पणी को कवर किया है उन-उन माध्यमों में उन्हें स्वंय अपने पैसों से माफीनामा छपवाना होगा न की IMA के पैसों से. अवमानना की कार्यवाही से बचने के लिए डॉक्टर अशोकन को इंतजाम कर लेना चाहिए."
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को करेगा. यानी 27 अगस्त से पहले डॉक्टर अशोकन मुख्य समाचार पत्रों में अपने पैसों से माफीनामा प्रकाशित करना होगा. अगर वह ऐसा नहीं करते तो शायद 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ फैसला सुना सकता है.