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India Daily

'क्या उनके लिए रेड कारपेट बिछाया जाए', रोहिंग्याओं के लापता होने के मामले पर सुनवाई करते हुए CJI ने की तल्ख टिप्पणी

रोहिंग्या के लापता होने पर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने पूछा कि क्या देश को अवैध प्रवेश करने वालों को ‘रेड कार्पेट वेलकम’ देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को तय की.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
CJI-Surya-Kant
Courtesy: @Shubham_fd

पांच लापता रोहिंग्या नागरिकों को खोजने और उनकी कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि अवैध रूप से प्रवेश करने वालों के लिए क्या भारत कानून को इतना फैलाए कि उन्हें सभी अधिकार मिल जाएं. कोर्ट ने साफ किया कि कानून नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए है और ऐसे मामलों में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल करना ‘फैंसीफुल’ माना जा सकता है.

लापता रोहिंग्या की याचिका पर कड़ा रुख

याचिकाकर्ता ने कहा था कि पांच रोहिंग्या पुलिस अभिरक्षा से लापता हैं और बिना कानूनी प्रक्रिया के निर्वासन नहीं किया जा सकता. इस पर CJI ने पूछा कि क्या अवैध रूप से प्रवेश करने वालों को भी वही सुविधाएँ मिलनी चाहिए जो नागरिकों को मिलती हैं. उन्होंने कहा कि कानून को ‘अनावश्यक रूप से खींचने’ की जरूरत नहीं है.

CJI के सवाल- क्या अवैध प्रवेश पर अधिकार मिलेंगे?

सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने कहा कि कोई व्यक्ति सीमा पार कर, सुरंग बनाकर या फेंसिंग लांघकर देश में घुसता है और फिर कानून से अपने लिए भोजन, आश्रय और शिक्षा की मांग करता है—क्या यह स्वीकार्य है? उन्होंने कहा कि देश के गरीब नागरिक पहले अधिकारों के हकदार हैं.

हैबियस कॉर्पस पर अदालत की टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर करना उपयुक्त कदम नहीं है. यह remedy तभी दी जाती है जब किसी व्यक्ति को अवैध हिरासत में रखा गया हो और उसे अदालत में पेश करना जरूरी हो. उन्होंने याचिका को ‘अतिरंजित’ बताया.

 रोहिंग्या को शरणार्थी दर्जा नहीं

CJI ने स्पष्ट किया कि सरकार ने रोहिंग्या को शरणार्थी घोषित नहीं किया है. ऐसे में अवैध प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को देश में रखने की कोई बाध्यता नहीं बनती. उन्होंने उत्तरी सीमाओं की संवेदनशीलता का भी ज़िक्र किया.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 16 दिसंबर तक टाली

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस याचिका पर तभी विचार होना चाहिए जब प्रभावित पक्ष खुद अदालत आए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 16 दिसंबर तक स्थगित कर दिया, ताकि इसे समान प्रकृति की अन्य लंबित याचिकाओं के साथ सुना जा सके.