नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' रखने का प्रस्ताव दिया है. इसका संक्षिप्त नाम 'वीबी जी राम जी' या 'जी राम जी' होगा. सरकार का कहना है कि इस बदलाव का उद्देश्य योजना को विकसित भारत की सोच से जोड़ना है. हालांकि, इस फैसले के बाद देश की राजनीति में तेज बहस शुरू हो गई है.
इस नाम परिवर्तन के साथ ही योजना से महात्मा गांधी का नाम पूरी तरह हटा दिया जाएगा, जिसे लेकर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है. यह बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा रहा है. विपक्षी दलों का आरोप है कि यह फैसला महात्मा गांधी के योगदान और उनकी विरासत का अपमान है. उनका कहना है कि मनरेगा जैसी गरीबों और ग्रामीणों के लिए बनी योजना का गांधीजी से गहरा संबंध रहा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि ग्राम स्वराज और राम राज्य की अवधारणाएं कभी एक-दूसरे के विरोध में नहीं रहीं, बल्कि ये दोनों महात्मा गांधी के विचारों का अहम हिस्सा थी.
The controversy over renaming MGNREGA in the Govt's proposed new G-RAM-G Bill is unfortunate. The concept of Gram Swaraj and the ideal of Ram Rajya were never competing forces; they were the twin pillars of Gandhiji’s consciousness. Replacing the Mahatma’s name in a scheme for…
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) December 15, 2025Also Read
शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मनरेगा का नाम बदलकर उसमें से गांधीजी का नाम हटाना उस गहरे संबंध को नजरअंदाज करना है, जो ग्रामीण विकास और गांधीजी के विचारों के बीच रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि गांधीजी के जीवन के अंतिम क्षणों में भी 'राम' का नाम था, इसलिए उनके नाम को हटाकर किसी तरह का विभाजन पैदा करना गलत है.
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह महात्मा गांधी को राष्ट्रीय सोच से हटाने की कोशिश है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार हर साल MGNREGA के बजट में कटौती कर रही है जबकि मजदूर अधिक मजदूरी की मांग कर रहे हैं. उन्होंने इसे इतिहास को बदलने और महात्मा गांधी की विरासत को कमजोर करने की कोशिश बताया. उन्होंने इस कदम को राजनीतिक मकसद वाला, बेकार और शासन से ध्यान भटकाने वाला बताया, विपक्ष का कहना है कि नाम बदलने से बेहतर है कि योजना को मजबूत किया जाए और मजदूरों की समस्याओं का समाधान किया जाए.
बिल की कॉपी के अनुसार इसके तहत हर ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को जो बिना स्किल वाले शारीरिक काम करने को तैयार हैं उन्हें हर वित्तीय वर्ष में 125 दिनों का वेतन रोजगार देने की कानूनी गारंटी दी जाएगी. मौजूदा MGNREGA में यह सीमा 100 दिनों की है. सरकार का दावा है कि नया मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि, सशक्तिकरण और पूर्ण कवरेज को बढ़ावा देगा.