बिहार की सियासत इस समय गरमाई हुई है. राहुल गांधी की यात्रा के दौरान सामने आए एक कथित वीडियो ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, जिसमें मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ अपशब्द कहे गए. भाजपा ने इस पर कांग्रेस और राजद को सीधे जिम्मेदार ठहराते हुए बड़ा हमला बोला है, जबकि विपक्ष ने आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि नाराज जनता की आवाज को जबरन राजनीतिक रंग दिया जा रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस की राजनीति राहुल गांधी के नेतृत्व में अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. एक गरीब मां का बेटा 11 साल से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा है, यह कांग्रेस को स्वीकार नहीं हो रहा. मोदी जी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ जिस तरह की गाली-गलौज की गई, वह न सिर्फ निंदनीय है बल्कि लोकतंत्र पर कलंक भी है.'
बिहार भाजपा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए पटना के कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई है. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस को 'गाली वाली पार्टी' करार देते हुए कहा कि 'कांग्रेस की दुकान अब बंद होगी और इसकी शुरुआत बिहार से होगी.' वहीं उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आरोप लगाया कि यह घटना राजद की गुंडागर्दी की पहचान है और कांग्रेस सत्ता के लालच में ऐसे कृत्यों को सहन कर रही है. भाजपा कार्यकर्ताओं ने दरभंगा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का पुतला फूंककर विरोध जताया.
वहीं कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि गाली-गलौज की असली राजनीति एनडीए करती है. कांग्रेस प्रवक्ता असीत नाथ तिवारी ने कहा कि 'भाजपा जनता के गुस्से को गलत दिशा देने की कोशिश कर रही है. लोग महंगाई और बेरोजगारी से परेशान हैं, इसलिए नाराजगी मंच से झलक रही है. कांग्रेस ऐसे व्यवहार को रोकने की कोशिश करती है, जबकि भाजपा इसमें माहिर है.' राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह तय नहीं किया जा सकता कि किस पार्टी के लोग गाली दे रहे थे और क्या उनका कोई छिपा एजेंडा था. उन्होंने उल्टा भाजपा पर ही सभ्यता तोड़ने का आरोप लगाया है.
इस पूरे विवाद को लेकर बिहार की राजनीति में नया मोड़ आ गया है. भाजपा नेताओं का कहना है कि जनता इस अपमान को भूलेगी नहीं और आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-राजद गठबंधन को कड़ा सबक सिखाएगी. वहीं कांग्रेस और राजद का दावा है कि भाजपा मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे मामलों को तूल दे रही है. अब देखना होगा कि यह विवाद चुनावी समीकरणों को किस हद तक प्रभावित करता है.