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India Daily

अमेरिका नहीं साल 2025 में सबसे ज्यादा इस मुस्लिम देश ने भारतीयों को दिखाया बाहर का रास्ता, विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट

विदेश मंत्रालय के राज्यसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार 2025 में 81 देशों से 24,600 से अधिक भारतीयों को निर्वासित किया गया. सबसे ज्यादा मामले सऊदी अरब से आए.

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Edited By: Reepu Kumari
अमेरिका नहीं साल 2025 में सबसे ज्यादा इस मुस्लिम देश ने भारतीयों को दिखाया बाहर का रास्ता, विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: 2025 में भारतीयों के निर्वासन को लेकर एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. विदेश मंत्रालय द्वारा संसद में साझा ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि दोपहिया प्रवासियों को लौटाने में अमेरिका शीर्ष पर नहीं, बल्कि सऊदी अरब सबसे आगे रहा. 12 महीनों में 11,000 से अधिक भारतीयों को वहां से वापस भेजा गया. यह आंकड़ा खाड़ी देशों में बढ़ती दस्तावेजी जांच, श्रम नियमों की सख्ती और प्रवासियों में कानूनी जागरूकता की कमी की ओर इशारा करता है.

अमेरिका से 3,800 भारतीयों का निर्वासन भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे ज़्यादा है. रिपोर्ट में कहा गया कि निजी कर्मचारियों पर केंद्रित यह कार्रवाई ट्रंप प्रशासन की कड़ी वीज़ा जांच का नतीजा है. दस्तावेज, वर्क परमिट और तय अवधि से अधिक प्रवास पर निगरानी बढ़ी है. वहीं, पाकिस्तान को 56,000 भिखारियों की वापसी के कारण वैश्विक स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा है.

खाड़ी में सख्ती की नई लहर 

खाड़ी देशों से भारतीय श्रमिकों की वापसी का बड़ा कारण वीज़ा अवधि खत्म होने के बाद भी रुकना और बिना वर्क परमिट काम करना रहा. मंत्रालय ने बताया कि श्रम कानूनों का उल्लंघन, नियोक्ता से भाग जाना और छोटे दीवानी या आपराधिक मामलों में संलिप्तता भी प्रमुख वजहें रहीं. तेलंगाना सरकार की एनआरआई सलाहकार समिति के अनुसार, कम-कुशल श्रमिक अक्सर एजेंटों के माध्यम से प्रवास करते हैं और नियमों की जानकारी के बिना अतिरिक्त कमाई के दबाव में गलत फैसले ले बैठते हैं.

पाकिस्तान पर वैश्विक सवाल 

सऊदी प्रतिबंधित हवाई सूचियों और चेतावनियों के बावजूद 56,000 पाकिस्तानी भिखारियों को लौटाने का मामला 2025 में सुर्खियों में रहा. इसे वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी भरा प्रकरण कहा गया. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका से सबसे अधिक निर्वासन वाशिंगटन डीसी और ह्यूस्टन से हुए. हालांकि संख्या सऊदी की तुलना में कम है, फिर भी यह पांच वर्षों में सबसे अधिक है. विशेषज्ञ इसे अमेरिका में हालिया नीति-सख्ती का स्पष्ट प्रभाव मानते हैं.

एशिया में साइबर गुलामी का जाल 

म्यांमार और कंबोडिया से भारतीयों की वापसी का पैटर्न खाड़ी से अलग दिखा. मंत्रालय और क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, यहां साइबर गुलामी नए और गंभीर कारण के रूप में उभरी. भारतीयों को ऊंचे वेतन वाली नौकरियों का लालच देकर साइबर अपराध उद्योग में धकेला जाता है. एशिया के ये क्षेत्र अरबों डॉलर के डिजिटल अपराध केंद्र बन चुके हैं, जहां फंसाए गए भारतीय अवैध गतिविधियों में काम करने को मजबूर होते हैं और पकड़े जाने पर हिरासत के बाद भारत भेज दिए जाते हैं.

छात्रों की वापसी का नया ट्रेंड

 2025 में भारतीय छात्रों को सबसे अधिक ब्रिटेन से लौटाया गया, जहां 170 विद्यार्थियों की वापसी दर्ज हुई. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका का स्थान रहा. मंत्रालय ने बताया कि छात्र-निर्वासन के मामले दस्तावेज़ी कमी, तय अवधि से अधिक रुकने या नियम-उल्लंघन से जुड़े रहे. विशेषज्ञ मानते हैं कि छात्रों और कर्मचारियों, दोनों में कानूनी प्रक्रियाओं की समझ बढ़ाना अब समय की मांग है, ताकि पढ़ाई और करियर किसी गलत सलाह या दस्तावेज़ी भूल से बाधित न हो.

जागरूकता बने सुरक्षा कवच

ओवरसीज मैनपावर एजेंसियों और सरकारी सलाहकारों ने ज़ोर देकर कहा कि प्रवास से पहले नियमों की जानकारी देना सबसे प्रभावी समाधान है. वीज़ा की समयसीमा पर निगरानी और ज़रूरत पड़ने पर समय रहते विस्तार के लिए आवेदन करना हमेशा सुरक्षित विकल्प है. विशेषज्ञों के अनुसार वीज़ा विस्तार एक कानूनी और सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसे समय पर अपनाने में चूक निर्वासन की सबसे बड़ी वजह बनती है. जागरूकता ही विदेश में सुरक्षा और सम्मान दोनों की गारंटी है.