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India Daily

ऑफिस के बाद बॉस का फोन उठाने की जरूरत नहीं, लोकसभा में पेश हुआ महत्वपूर्ण बिल

शनिवार को लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सुप्रिया सुले द्वारा पेश किया गया ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’ चर्चा में रहा. यह बिल कर्मचारियों को निर्धारित समय के बाद आधिकारिक कॉल और ईमेल का जवाब न देने का अधिकार देने की बात करता है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Right to Disconnect Bill gains attention in Winter Session
Courtesy: x

शुक्रवार को लोकसभा के शीतकालीन सत्र में कई निजी सदस्य बिल पेश किए गए, जिनमें कर्मचारियों के अधिकार, महिलाओं की विशेष आवश्यकताओं और पत्रकारों की सुरक्षा जैसे मुद्दे प्रमुख रहे. इनमें सबसे अधिक ध्यान एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025’ ने खींचा, जो कार्यस्थल के बाहर कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव रोकने की पहल है. सत्र के बीच उठाए गए ये प्रस्ताव न केवल बहस को मजबूती देते हैं बल्कि सामाजिक चिंताओं को भी संसद में आवाज देते हैं.

 'राइट टू डिस्कनेक्ट' की बढ़ती मांग

सुप्रिया सुले द्वारा पेश किए गए इस बिल का मकसद कर्मचारियों को दफ्तर समय के बाद कामकाजी कॉल, ईमेल या मैसेज का जवाब न देने का कानूनी अधिकार देना है. प्रस्तावित कानून वर्क-लाइफ बैलेंस को सुरक्षित करने और निजी समय में हस्तक्षेप रोकने पर केंद्रित है. यह बिल एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण बनाने की बात भी रखता है, जो कंपनियों द्वारा अतिरिक्त कार्यदबाव की निगरानी करेगा.

 भीड़भाड़ वाले सत्र में अहम पहल

इस बिल को ऐसे समय पेश किया गया है जब शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से चल रहा है और 19 दिसंबर तक कुल 15 बैठकें निर्धारित हैं. सदन में राज्यवार मतदाता सूची के लिए जारी स्पेशल इटीसव रिवीजन प्रक्रिया को लेकर भी गर्म माहौल है. ऐसे में इस तरह के सामाजिक मुद्दों का उठना सत्र को और महत्वपूर्ण बनाता है.

महिलाओं के लिए मासिक धर्म अवकाश पर फोकस

शुक्रवार को महिला कर्मचारियों की जरूरतों से जुड़े दो अहम बिल भी आए. कांग्रेस सांसद कडियम कव्या ने मेनस्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024 पेश किया, जिसमें मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को सुविधाएं और कार्यस्थलों को अधिक संवेदनशील बनाने का प्रस्ताव रखा गया. इसके साथ ही शंभवी चौधरी ने भुगतानयुक्त मासिक धर्म अवकाश और स्वच्छता सुविधाओं के लिए बिल रखा.

 NEET से राहत और शिक्षा से जुड़ी चिंता

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने तमिलनाडु को मेडिकल प्रवेश के लिए NEET परीक्षा से छूट देने का प्रस्ताव रखा. यह उसी विवाद से जुड़ा है जिसमें तमिलनाडु सरकार ने एंटी-NEET बिल को मंजूरी न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. राज्य पहले से ही इस परीक्षा के विरोध में मुखर रहा है.

 पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर चर्चा

स्वतंत्र सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने पत्रकारों पर बढ़ते हमलों को रोकने के लिए ‘जर्नलिस्ट (प्रिवेंशन ऑफ वायलेंस एंड प्रोटेक्शन) बिल, 2024’ पेश किया. इसमें पत्रकारों और उनकी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई है. यह प्रस्ताव मीडिया जगत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को संसद में मजबूती से रखता है.