क्या है Dyslexia जिसके कारण लाल रंग की लाइटों से जगमगा उठा लाल किला?
राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किला ‘डिस्लेक्सिया अवेयरनेस कैंपेन’ के तहत लाल रोशनी से जगमगा उठा. इस पहल का उद्देश्य लोगों में डिस्लेक्सिया के प्रति जागरूकता फैलाना और बच्चों में इस स्थिति की पहचान के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना है.
नई दिल्ली: दिल्ली के लाल किले ने इस बार एक अनोखा सामाजिक संदेश दिया है. रविवार रात लाल रोशनी में नहाया यह ऐतिहासिक धरोहर ‘डिस्लेक्सिया अवेयरनेस कैंपेन’ का प्रतीक बन गया. इस पहल का मकसद था, समाज में डिस्लेक्सिया जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थिति को लेकर जागरूकता बढ़ाना. आयोजकों का कहना है कि इस तरह की सार्वजनिक गतिविधियां लोगों को सोचने और समझने के लिए प्रेरित करती हैं कि हर बच्चा अलग होता है, और हर किसी को बराबर अवसर मिलना चाहिए.
डिस्लेक्सिया अवेयरनेस कैंपेन के तहत लाल किले को लाल रोशनी से सजाया गया. इस अभियान का उद्देश्य था- लोगों को इस समस्या के लक्षण, पहचान और सहयोग के उपायों के बारे में जानकारी देना. आयोजकों ने कहा कि यह केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को यह याद दिलाने की कोशिश है कि डिस्लेक्सिया से जूझ रहे बच्चों को सही समझ और सहायता की जरूरत होती है.
क्या है डिस्लेक्सिया?
विशेषज्ञों ने बताया कि डिस्लेक्सिया एक न्यूरोलॉजिकल अवस्था है, जिसमें व्यक्ति को पढ़ने, लिखने और शब्दों को समझने में कठिनाई होती है. यह स्थिति किसी की बुद्धिमत्ता को नहीं, बल्कि सीखने के तरीके को प्रभावित करती है. विशेषज्ञों ने कहा कि यदि इसे समय रहते पहचान लिया जाए, तो बच्चों को सही शिक्षा और मार्गदर्शन देकर वे पूरी तरह सफल जीवन जी सकते हैं.
विशेषज्ञों और शिक्षकों की अपील
कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने माता-पिता से अपील की कि वे बच्चों के सीखने के तरीके पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि कई बार बच्चे मेहनती होते हैं, लेकिन पढ़ाई में संघर्ष करते हैं, इसे ‘आलस’ या ‘लापरवाही’ न समझें. स्कूलों में काउंसलिंग और विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करने की जरूरत है ताकि हर बच्चा आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सके.
सोशल मीडिया पर छाया लाल किले का वीडियो
लाल रोशनी में नहाए लाल किले का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ. लोगों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे 'आंखें खोल देने वाला कदम' बताया. कई यूजर्स ने लिखा कि समाज में ऐसे अभियानों की जरूरत है, जो अदृश्य समस्याओं को सामने लाएं. दिल्लीवासियों ने भी इस अभियान का समर्थन किया और कहा कि बच्चों के भविष्य के लिए यह जागरूकता बेहद जरूरी है.
सामाजिक संगठनों की भूमिका और आगे की योजना
NGOs और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस अभियान से जुड़ी कई वर्कशॉप, स्कूल सेशन और काउंसलिंग प्रोग्राम आने वाले हफ्तों में आयोजित किए जाएंगे. उनका उद्देश्य है कि बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों तक सही जानकारी पहुंचे. उन्होंने कहा कि जागरूकता ही पहला कदम है, समझ और सहयोग ही असली बदलाव लाते हैं.