कुपवाड़ा के त्रेहगाम में भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स और जयपुर फुट ने मिलकर एक खास शिविर का आयोजन किया. 25 से 27 अक्टूबर 2025 तक चले इस कृत्रिम अंग फिटमेंट शिविर में 131 दिव्यांगों को नया सहारा मिला. सामान्य नागरिकों और पूर्व सैनिकों को कृत्रिम अंग और उपकरण दिए गए. इस पहल से लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया, जिसने कई चेहरों पर मुस्कान लौटाई.
इस तीन दिवसीय शिविर में 131 दिव्यांगों को लाभ पहुंचा. जयपुर फुट के विशेषज्ञों और सेना के मेडिकल स्टाफ ने मिलकर कृत्रिम पैर, हाथ, बैसाखी और अन्य सहायक उपकरण प्रदान किए. सही फिटिंग के साथ ये उपकरण लोगों के रोजमर्रा के कामों को आसान बनाने में मददगार साबित हुए. कई लाभार्थियों ने खुशी जताते हुए कहा कि अब वे पहले से बेहतर तरीके से चल-फिर सकते हैं.
चिनार कॉर्प्स के एक अधिकारी ने बताया कि सेना न केवल सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि समाज की सेवा भी उसका कर्तव्य है. इस शिविर का उद्देश्य दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाना था. उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हर व्यक्ति सम्मान और स्वतंत्रता के साथ जी सके.” यह शिविर सेना की सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है, जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहा है.
कुपवाड़ा जैसे सुदूर क्षेत्र में यह शिविर वरदान साबित हुआ. जिन लोगों ने दुर्घटना या अन्य कारणों से अपने अंग खो दिए थे, उन्हें इस शिविर ने नया जीवन दिया. लाभार्थियों ने कृत्रिम अंगों के साथ बेहतर गतिशीलता और आत्मविश्वास की बात कही. इस पहल ने न केवल उनकी शारीरिक जरूरतें पूरी कीं, बल्कि उनके मनोबल को भी बढ़ाया.
जयपुर फुट (BMVSS) की विशेषज्ञता और सेना की संगठन क्षमता ने इस शिविर को सफल बनाया. जयपुर फुट के डॉक्टरों ने सटीक फिटिंग सुनिश्चित की, जबकि सेना ने शिविर के आयोजन में अहम भूमिका निभाई. दोनों संस्थानों की यह साझेदारी दिव्यांगों के लिए एक मिसाल बन गई. लाभार्थियों ने इस सहयोग की सराहना की और इसे सामाजिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम बताया.
चिनार कॉर्प्स ने कहा कि ऐसे सामाजिक कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे. सेना का लक्ष्य है कि समाज के हर वर्ग तक मदद पहुंचे. इस तरह के शिविर न केवल दिव्यांगों को सहारा देते हैं, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देते हैं. कुपवाड़ा के इस शिविर ने साबित किया कि मानवता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं.