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India Daily

एयर इंडिया की घर वापसी से जगुआर लैंड रोवर तक, रतन टाटा के वो मास्टरस्ट्रोक जिन पर आज भी होती है चर्चा

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने ऐसे ऐतिहासिक फैसले लिए, जिन्होंने भारतीय उद्योग को वैश्विक पहचान दिलाई. जगुआर लैंड रोवर से लेकर एयर इंडिया तक, उनके मास्टरस्ट्रोक आज भी मिसाल बने हुए हैं.

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Edited By: Babli Rautela
एयर इंडिया की घर वापसी से जगुआर लैंड रोवर तक, रतन टाटा के वो मास्टरस्ट्रोक जिन पर आज भी होती है चर्चा
Courtesy: Pinterest

भारतीय उद्योग जगत में रतन टाटा का नाम दूरदृष्टि, साहस और मूल्यों का प्रतीक माना जाता है. जब रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की कमान संभाली, तब भारत आर्थिक उदारीकरण के दौर से गुजर रहा था. उस समय टाटा ग्रुप एक मजबूत घरेलू समूह जरूर था, लेकिन वैश्विक पहचान सीमित थी. रतन टाटा ने परंपरागत सोच से हटकर जोखिम उठाने और दुनिया के बाजार में उतरने का फैसला किया. यही फैसले आगे चलकर टाटा ग्रुप के मास्टरस्ट्रोक साबित हुए.

रतन टाटा ने नेतृत्व संभालते ही साफ कर दिया कि भविष्य वैश्विक विस्तार में है. उन्होंने केवल मुनाफे पर नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीति और ब्रांड वैल्यू पर ध्यान दिया. ऑटोमोबाइल, स्टील, आईटी, एविएशन, टेलीकॉम और डिफेंस जैसे क्षेत्रों में समूह की मौजूदगी मजबूत हुई. टाटा ग्रुप ने जोखिम लेने से पीछे नहीं हटने की नीति अपनाई, जिसने उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना दिया.

जगुआर लैंड रोवर से रचा इतिहास

रतन टाटा के सबसे चर्चित और साहसिक फैसलों में 2008 में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण शामिल है. टाटा मोटर्स ने अमेरिकी कंपनी Ford Motor Company से जेएलआर को 2.3 अरब डॉलर में खरीदा. उस समय वैश्विक मंदी का दौर था और कई विशेषज्ञों ने इस फैसले पर सवाल उठाए. लेकिन रतन टाटा की दूरदृष्टि रंग लाई. जेएलआर ने न केवल मुनाफा कमाया, बल्कि टाटा मोटर्स को लग्जरी कार सेगमेंट में वैश्विक पहचान दिलाई. यह फैसला भारतीय उद्योग के आत्मसम्मान का प्रतीक बन गया.

टाटा नैनो बनी हर आम आदमी का सपना

रतन टाटा का सपना था कि एक आम भारतीय परिवार भी सुरक्षित कार में सफर कर सके. इसी सोच से टाटा नैनो का जन्म हुआ. 2008 में करीब एक लाख रुपये की कीमत पर लॉन्च हुई यह कार दुनिया की सबसे सस्ती कार कही गई. हालांकि नैनो व्यावसायिक रूप से बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाई और 2018 में इसका उत्पादन बंद हो गया, लेकिन इस कार ने रतन टाटा की सामाजिक सोच और नवाचार की भावना को उजागर किया. नैनो ने यह दिखाया कि व्यापार के साथ समाज के प्रति जिम्मेदारी भी जरूरी है.

एयर इंडिया की घर वापसी

रतन टाटा के मार्गदर्शन में टाटा ग्रुप ने 2022 में सरकारी एयरलाइन Air India का अधिग्रहण किया. करीब 18 हजार करोड़ रुपये की इस डील को एयर इंडिया की घर वापसी कहा गया. कभी टाटा समूह ने ही एयर इंडिया की स्थापना की थी. अधिग्रहण के बाद कंपनी की ब्रांड इमेज सुधारने, सेवाओं को बेहतर बनाने और संचालन को आधुनिक करने पर जोर दिया गया. आज एयर इंडिया ग्रुप देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बन चुकी है और उसका मार्केट शेयर तेजी से बढ़ा है.

एविएशन सेक्टर में बड़ा विस्तार

एयर इंडिया के अधिग्रहण के बाद टाटा ग्रुप ने एविएशन सेक्टर में आक्रामक रणनीति अपनाई. समूह ने बोइंग और एयरबस से 500 से अधिक विमानों का ऑर्डर दिया. यह भारतीय एविएशन इतिहास के सबसे बड़े ऑर्डरों में से एक माना जाता है. इससे साफ हो गया कि टाटा ग्रुप इस सेक्टर में लंबी पारी खेलने के इरादे से उतरा है. यह फैसला भारत को वैश्विक एविएशन हब बनाने की दिशा में भी अहम माना जा रहा है.

टेलीकॉम में एंट्री

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने 2008 में जापानी कंपनी NTT Docomo के साथ मिलकर टाटा डोकोमो लॉन्च की. पारदर्शी टैरिफ और सेकंड आधारित बिलिंग ने इसे लोकप्रिय बनाया. हालांकि कड़ी प्रतिस्पर्धा और लगातार घाटे के कारण 2017 में इसका संचालन बंद करना पड़ा. इसके बावजूद यह कदम दिखाता है कि रतन टाटा नए क्षेत्रों में प्रयोग करने से नहीं डरते थे.

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की पहल

2007 में टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड के जरिए रतन टाटा ने रक्षा क्षेत्र में प्रवेश कराया. इस कदम ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की दिशा में टाटा ग्रुप की भूमिका को मजबूत किया. आज टाटा समूह रक्षा उत्पादन और तकनीक में एक अहम खिलाड़ी बन चुका है.

रतन टाटा के ये फैसले केवल कारोबारी नहीं थे, बल्कि उनमें देश और समाज के भविष्य की सोच शामिल थी. उनकी दूरदृष्टि, साहस और मूल्यों ने टाटा ग्रुप को वैश्विक मंच पर सम्मान और पहचान दिलाई. यही वजह है कि रतन टाटा आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं.