उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले को कई बार रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के नाम से भी जाना जाता है. प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा सीट से लगातार सात बार के विधायक राजा भैया ने अपने एक ऐलान से सबको हैरान कर दिया है. राजा भैया ने कहा है कि वह किसी पार्टी का समर्थन या विरोध नहीं कर रहे हैं, ऐसे में जनता जिसे चाहे वोट कर सकती है. यह बात ऐसे वक्त सामने आई है जब चर्चाएं थीं कि उनकी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और बीजेपी का गठबंधन हो जाएगा. समाजवादी पार्टी (SP) के नेताओं ने भी उनसे मुलाकात की लेकिन आखिर में राजा भैया ने किसी को समर्थन न देने का फैसला किया.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजा भैया ने साफ-साफ कहा, 'हां, गठबंधन को लेकर चर्चाएं हुईं, बातचीत भी हुई, अच्छी और सकारात्मक चर्चा हुई लेकिन जब गठबंधन नहीं हुआ तो हमने किसी का भी समर्थन न करने का फैसला लिया है.' राजा भैया ने यह भी माना कि प्रतापगढ़ से सपा के उम्मीदवार ने भी उनसे मुलाकात की. वहीं, एक तस्वीर भी सामने आई है जिसमें कौशांबी के मौजूदा सांसद और बीजेपी के प्रत्याशी विनोद सोनकर भी राजा भैया से मुलाकात करने पहुंचे हैं.
राजा भैया के घर से एक तस्वीर सामने आई है. इसमें देखा जा सकता है कि संजीव बालियान भी उनसे मिलने पहुंचे हैं. इस बारे में राजा भैया ने कहा, 'उनसे मेरे व्यक्तिगत संबंध हैं, राजनीतिक नहीं.' हालांकि, कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी की ओर से संजीव बालियान को भेजा गया था कि वह राजा भैया को मनाकर अपने पाले में ले आएं. आखिर में बीजेपी इस प्लान में कामयाब नहीं हुई. इतना जरूर है कि अब राजा भैया की पार्टी से कौशांबी और प्रतापगढ़ की सीट पर कोई प्रत्याशी नहीं उतरेगा. एक तरह से इससे बीजेपी को ही आसानी होने वाली है.
बीते दिनों हुआ राज्यसभा चुनाव की बात करें तो राजा भैया दोहरे मन में दिख रहे थे. एक बार उन्होंने सपा के समर्थन की बात भी कह दी थी लेकिन बाद में बीजेपी के पक्ष में वोट डालने गए. पिछली बार के राज्यसभा चुनाव के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से तल्ख हुए उनके रिश्तों में भी सुधार आने लगा है. ऐसे में चर्चाएं हैं कि राजा भैया बीजेपी की ओर से कुछ विशेष न मिलने या फिर केंद्र की सत्ता में परिवर्तन होने की स्थिति में पाला बदल सकते हैं. हालांकि, अभी तक वह स्पष्ट तौर पर किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.
2022 के विधानसभा चुनाव में भी राजा भैया की पार्टी किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं थी. इस बार चर्चाएं थीं कि वह सपा या बीजेपी से गठबंधन करके प्रतापगढ़ और कौशांबी की सीटों पर अपना उम्मीदवार उतार सकते हैं. हालांकि, किसी भी पार्टी ने उन्हें सीट देने पर हामी नहीं भरी. बता दें कि लंबे समय तक सपा के साथ रहे राजा भैया के सहयोगी अक्षय प्रताप सिंह 'गोपाल' और शैलेंद्र कुमार क्रमश: प्रतापगढ़ और कौशांबी से सांसद हुआ करते थे. सपा से राहें अलग होने के बाद ये दोनों कई चुनाव हार चुके हैं.
ऐसे में देखना होगा कि क्या वोटिंग के दिन तक राजा भैया 'जिसको चाहें वोट दें' पर कायम रहते हैं या फिर आखिर में किसी एक पार्टी के पक्ष में वोट करने की अपील करते हैं. उदाहरण के लिए, जौनपुर में टिकट वापस हो जाने के बाद धनंजय सिंह ने अब बीजेपी के समर्थन की अपील की है.