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'मीडिया से बात न करें' राज ठाकरे ने मनसे कार्यकर्ताओं को क्यों दिया ये आदेश?

महाराष्ट्र में जारी हिंदी बनाम मराठी विवाद के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं को मीडिया से बातचीत और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देने से सख्ती से मना किया है. उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि बिना अनुमति कोई भी कार्यकर्ता या प्रवक्ता किसी भी माध्यम से सार्वजनिक बयान न दे.

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Edited By: Kuldeep Sharma
raj thakre
Courtesy: web

राज ठाकरे ने एक बार फिर साबित किया है कि पार्टी की छवि और दिशा पर उनका पूरा नियंत्रण है. हाल ही में भाषा को लेकर उठे विवादों के बीच उन्होंने मनसे कार्यकर्ताओं को मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने का आदेश दिया है. यह फैसला पार्टी के भीतर अनुशासन बनाए रखने के साथ किसी भी तरह की अनुचित बयानबाज़ी से बचने का तरीका माना जा रहा है.

मंगलवार रात को एक्स पर किए गए एक पोस्ट में राज ठाकरे ने साफ शब्दों में लिखा, “स्पष्ट निर्देश... पार्टी का कोई भी सदस्य अखबारों, समाचार चैनलों या किसी डिजिटल मीडिया से बातचीत नहीं करेगा. साथ ही, अपनी प्रतिक्रियाओं के वीडियो भी सोशल मीडिया पर कतई न डालें.” उन्होंने इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया.

प्रवक्ताओं पर भी कड़ी निगरानी

राज ठाकरे ने अपने अधिकृत प्रवक्ताओं को भी चेतावनी दी कि वे भी किसी भी तरह की मीडिया बातचीत या सोशल मीडिया गतिविधियों से पहले उनकी अनुमति लें. उन्होंने कहा, “जो प्रवक्ता मीडिया से बातचीत के लिए नियुक्त किए गए हैं, वे भी मेरी अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया न दें और सोशल मीडिया पर कोई बयान जारी न करें.” यह आदेश पार्टी प्रवक्ताओं पर व्यक्तिगत राय रखने की स्वतंत्रता को भी सीमित करता है.

विवादों से बचाव की रणनीति

मनसे प्रमुख का यह बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर सामाजिक और राजनीतिक बहस तेज हो गई है. ऐसे माहौल में पार्टी की ओर से किसी भी विवादास्पद बयान की आशंका को देखते हुए ठाकरे ने पहले ही एहतियाती कदम उठा लिया है. यह रणनीति पार्टी की एकजुटता बनाए रखने और अनावश्यक विवादों से दूरी रखने के उद्देश्य से उठाई गई है.