राज कुंद्रा ने हाल ही में सभी को चौंकाते हुए यह ऐलान किया कि वे अपने गुरु प्रेमानंद महाराज को किडनी दान करना चाहते हैं. महाराज पिछले दो दशकों से गुर्दे की विफलता से जूझ रहे हैं और रोजाना घंटों डायलिसिस पर रहते हैं. कुंद्रा का यह साहसिक और भावनात्मक फैसला जहां कई लोगों को प्रेरणा दे रहा है, वहीं कुछ लोग इसे लेकर सवाल भी उठा रहे हैं. लेकिन चिकित्सक इस बात पर जोर देते हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट, रिसीवर के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का सबसे कारगर विकल्प है.
राज कुंद्रा ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने अपने गुरु को देखकर यह निर्णय लिया. उन्होंने कहा 'प्रेमानंद जी बीस साल से दो खराब किडनियों के साथ जी रहे हैं और फिर भी हमेशा मुस्कुराते रहते हैं. तभी मैंने सोचा कि मैं उन्हें अपनी किडनी दान करना चाहता हूं.' हालांकि इस बयान के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया. कुंद्रा ने साफ कहा 'मेरी किडनी है, मैं जिसे चाहूं दान करूं.'
विशेषज्ञों की मानें तो किडनी दान करना अपेक्षाकृत सुरक्षित प्रक्रिया है. डोनेशन के बाद शरीर में बची हुई किडनी अपने आकार में बढ़ जाती है और सभी आवश्यक कार्य कर सकती है, हालांकि, डोनर को जीवनभर सावधानी बरतनी होती है. डॉक्टर टोपोति मुखर्जी का कहना है कि डोनर को संतुलित आहार, नियंत्रित जीवनशैली और नियमित स्वास्थ्य जांच पर ध्यान देना चाहिए. वहीं, रिसीवर के लिए भी संक्रमण और अंग अस्वीकृति जैसी चुनौतियां बनी रहती हैं, लेकिन डायलिसिस के मुकाबले ट्रांसप्लांट हमेशा बेहतर विकल्प होता है.
डॉक्टर श्याम वर्मा का कहना है कि किडनी डोनेशन से पहले डोनर का पूरा मेडिकल चेकअप जरूरी है. मानसिक रूप से भी डोनर को तैयार रहना चाहिए क्योंकि यह पूरी तरह स्वैच्छिक प्रक्रिया है. सर्जरी के बाद डोनर को अधिक प्रोटीन से बचना चाहिए, नमक और प्रोसेस्ड फूड की मात्रा कम करनी चाहिए और धूम्रपान-शराब से परहेज करना चाहिए. दूसरी ओर, रिसीवर को जीवनभर इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयां लेनी होती हैं ताकि किडनी रिजेक्शन का खतरा न रहे.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद रिसीवर का जीवन न सिर्फ बेहतर होता है बल्कि डायलिसिस की थकान और सीमाओं से भी मुक्ति मिलती है. हालांकि, लंबे समय में हृदय और रक्त वाहिकाओं पर असर, संक्रमण का खतरा और दवाइयों के दुष्प्रभाव जैसी चुनौतियां बनी रहती हैं. फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया रिसीवर के लिए जीवन का नया अवसर है. राज कुंद्रा का यह फैसला न केवल उनके गुरु के जीवन को नई उम्मीद दे सकता है बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा बन सकता है कि जरूरतमंदों की मदद के लिए अंगदान कितना महत्वपूर्ण है.