Sin Goods: GST परिषद की ओर से दो दिवसीय मीटिंग के दौरान वस्तु एवं सेवा कर के रेट में बदलाव किया गया है. जिसके तहत 'sin' और लग्जरी सामानों के लिए 40 प्रतिशत का कठोर स्लैब तैयार किया गया है. इस स्लैब में कोल्ड ड्रिंक्स, आइस्ड टी और कई मीठे पेय पदार्थ को शामिल किया गया है.
GST रेट में हुए बदलाव के मुताबिक दूसरी ओर आवश्यक खाद्य पदार्थ को टैक्स फ्री किया गया है. सरकार की ओर से मिठाइयां, मक्खन, घी, मेवा, पेस्ट्री, बिस्कुट और अनाज समेत कई खाद्य पदार्थों पर जीएसटी 18% से कम कर के 5% प्रतिशत कर दिया गया है. जिसके बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर विवाद छिड़ गया है कि आखिर दोनों ही मीठे पदार्थों पर अलग-अलग टैक्स क्यों लगाए गए?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले भारत में तेजी से बढ़ रहे डायबिटीज की समस्या को लेकर भी लोगों को सतर्क किया था. उन्होंने लोगों से चीनी कम खाने की अपील की थी. साथ ही यह भी कहा था कि अब ये केवल आहार संबंधी समस्या नहीं है बल्कि एक सार्वजनिक खतरा भी है. जिसके बाद सरकार की ओर से इन मीठे पेय पदार्थों को sin में शामिल कर लोगों को फिर से चीनी की बढ़ती समस्या के बारे में याद दिलाया. हालांकि दूसरी तरफ पनीर, दूध और गुलाब जामुन जैसी मिठाइयों पर से टैक्स हटने से लोगों के लिए यह और भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगा. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि अगर कोल्ड ड्रिंक और डब्बा बंद मीठे पेय पदार्थ हानिकारक हैं तो क्या भारतीय मिठाइयां भी स्वास्थ्य के लिहाजा से अच्छा है?
डॉक्टरों की मानें तो मीठा खाने और पीने की वजह से आपका इंसुलिन स्तर तेजी से बढ़ता है. साथ ही पाचन की समस्या होती है और आपका वजन भी बढ़ता है. चीनी की मात्रा ना कम किया जाए तो फैटी लीवर और डायबिटज की समस्या भी हो सकती है. भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग मधुमेह की समस्या से परेशान है. इसके अलावा 13 करोड़ से ज्यादा लोगों में प्री-डायबिटिक के लक्षण है. जिसका मतलब है कि पांच में से एक भारतीय चीनी की वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इस हालात में अगर सरकार द्वारा कोल्ड ड्रिंक जैसे वस्तुओं को पाप बताया जा रहा है तो वहीं भारतीय मिठाइयों को सांस्कृतिक गौरव कहा जा रहा है. हालांकि इन स्वास्थ्य के लिहाज से ये दोनों ही आपके लिए खतरा है. ऐसे में सस्ता और महंगा को देखकर नहीं बल्कि अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर खाने-पीने पर ध्यान देने की जरूरत है.