राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को तब और तीखी हो गई जब वंदे मातरम पर चल रही बहस के बीच शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने स्वतंत्रता आंदोलन की ऐतिहासिक व्याख्या पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आजादी के संघर्ष से जुड़ी कई मूल बातें जनता तक सही रूप में नहीं पहुंचाई जा रहीं. उनका दावा था कि 2014 के बाद इतिहास के कुछ अध्यायों को बदला, दबाया या “व्हाट्सऐप इतिहास” से बदलने का प्रयास किया गया है. उन्होंने संसद से इसे सुधारने की अपील की.
चतुर्वेदी ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन, स्वाधीनता संग्राम और राष्ट्रीय आंदोलन के कई अहम हिस्सों को या तो कम करके बताया जा रहा है या नए स्वरूप में पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वॉट्सऐप हिस्ट्री के माध्यम से सच को छिपाया जा रहा है, इसलिए मेरा आग्र है कि इन सभी मुद्दों पर सदन में चर्चा होनी चाहिए, जिससे पीढ़ियों को सच का पता चले.
pic.twitter.com/8O9VGa05ue This discussion on Vande Mataram has exposed the WhatsApp distorians flourishing since 2014.
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) December 10, 2025
The discussion was initiated by the BJP the same party that has banned MPs from using the slogans Vande Mataram and Jai Hind which is nothing but treason.
While…
उन्होंने तर्क दिया कि इतिहास को राजनीतिक रूप से अनुकूल कहानियों से नहीं भरा जाना चाहिए. उनके अनुसार, सोशल मीडिया पर फैलने वाले आधे-अधूरे किस्सों को सही इतिहास के स्थान पर प्रचारित करना खतरनाक है और इ
ससे राष्ट्रीय स्मृति धुंधली पड़ती है.
चतुर्वेदी ने कहा कि संसद की जिम्मेदारी है कि स्वतंत्रता संग्राम के सभी पहलुओं को प्रमाणित और निष्पक्ष रूप में देश के सामने रखा जाए. उनका कहना था कि केवल आधिकारिक दस्तावेजों और शोध पर आधारित सामग्री ही पाठ्यक्रम और सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा होनी चाहिए.
उनकी टिप्पणी के बाद सदन में वैचारिक मतभेद फिर उभर आए. विपक्ष के कुछ सदस्यों ने भी उनके समर्थन में कहा कि इतिहास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, जबकि सत्ता पक्ष ने आरोपों को खारिज किया.
बहस में यह चिंता भी उठी कि बदले हुए ऐतिहासिक वर्णन भविष्य की पीढ़ियों की समझ को प्रभावित कर सकते हैं. संसद में मौजूद कई सदस्यों ने कहा कि देश की पहचान उसी समय सुरक्षित रहेगी जब उसे उसकी वास्तविक ऐतिहासिक जड़ों के साथ समझाया जाएगा.