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प्राइवेट बाइक और स्कूटर वाले भी कर सकेंगे कमाई, केंद्र सरकार ने उठाया बड़ा कदम

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी है कि वे एग्रीगेटर्स को निजी मोटरसाइकिलों को टैक्सी के रूप में उपयोग करने की अनुमति दें. इससे शहरी परिवहन में सुधार, रोजगार सृजन और ट्रैफिक में कमी आने की संभावना है. अंतिम फैसला राज्य सरकारों के अधिकार में रहेगा.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Private bikes run as taxi
Courtesy: Social Media

भारत में राइड शेयरिंग और मोबिलिटी सेवाओं की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नया दिशा-निर्देश जारी किया है. इसके तहत राज्य सरकारों को यह सलाह दी गई है कि वे एग्रीगेटर्स जैसे Ola, Rapido, Uber को निजी मोटरसाइकिलों को टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दें.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह बदलाव अर्बन मोबिलिटी को किफायती और सुलभ बनाने के उद्देश्य से किया गया है. मंत्रालय के मुताबिक, यह कदम रोजगार के अवसर बढ़ाने, ट्रैफिक कंजेशन कम करने और लास्ट माइल कनेक्टिविटी को मजबूत करने में मदद करेगा.

क्या है नया दिशा-निर्देश?

मंत्रालय ने राज्य परिवहन विभागों को सुझाव दिया है कि वे मोटर वाहन अधिनियम की धारा 93 के तहत निजी मोटरसाइकिलों को भी एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म के माध्यम से टैक्सी के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति दें. पहले केवल कमर्शियल नंबर प्लेट वाली बाइकों को ही यह सुविधा दी जाती थी लेकिन अब पर्सनल नंबर प्लेट वाली बाइकों को भी इसका हिस्सा बनाया जा सकता है.

क्यों लिया गया यह फैसला?

  • राइड शेयरिंग सेवाओं की मांग में वृद्धि की वजह से खासतौर पर शहरी क्षेत्रों में लोग बाइक टैक्सी को तेज़, सस्ती और सुविधाजनक विकल्प के रूप में अपना रहे हैं.
  • रोजगार सृजन के लिए लाखों युवाओं के पास निजी दोपहिया वाहन हैं, जो अब इसके ज़रिए आय अर्जित कर सकते हैं.
  • पर्यावरणीय फायदे को ध्यान में रखते हुए साझा यात्रा से ईंधन की बचत और प्रदूषण में कमी हो सकती है.

राज्य सरकारों की भूमिका

हालांकि मंत्रालय ने यह दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, लेकिन अंतिम निर्णय राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है. कुछ राज्य जैसे कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली पहले से इस तरह की सेवाएं संचालित कर रहे हैं, जबकि अन्य राज्यों में अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वे इस सलाह का अनुसरण करेंगे या नहीं.

आपत्ति और चिंताएं

कुछ ट्रांसपोर्ट यूनियन और ऑटो चालकों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है. उनका मानना है कि इससे अनुचित प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और लाइसेंसधारी व्यावसायिक चालकों को नुकसान हो सकता है.