PM Modi On Godhra Train Burning: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट के दौरान फरवरी 2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड पर अपनी भावनाओं और उससे जुड़ी घटनाओं के बारे में खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि इस दुखद घटना के बाद उन्होंने अपने मानसिक तनाव को कैसे संभाला और कैसे अपनी जिम्मेदारी निभाई.
गोधरा ट्रेन अग्निकांड 27 फरवरी 2002 को हुआ था, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. यह घटना प्रधानमंत्री मोदी के पहली बार विधायक बनने के तीन दिन बाद घटित हुई थी. इस अग्निकांड के बाद, पीएम मोदी ने घटनास्थल पर जाने और स्थिति का जायजा लेने का फैसला लिया था, हालांकि इस यात्रा में कई चुनौतियां भी थीं.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यादों को साझा करते हुए कहा, 'मुझे विधायक बने हुए सिर्फ तीन दिन हुए थे. और अचानक मुझे गोधरा में हुई बड़ी घटना के बारे में पता चला. ट्रेन में आग लग गई थी. मुझे धीरे-धीरे पता चला कि लोग मर गए हैं. मैं बहुत बेचैन था, मैं चिंतित था. विधानसभा से बाहर आते ही मैंने कहा कि मैं गोधरा जाना चाहता हूं.'
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि उन्हें गोधरा जाने के लिए एक हेलीकॉप्टर की जरूरत थी, लेकिन केवल एक इंजन वाला हेलीकॉप्टर उपलब्ध था. उनकी सुरक्षा टीम को यह यात्रा जोखिमभरा लग रही थी और वे चाह रहे थे कि पीएम हेलीकॉप्टर में न जाएं. पीएम मोदी ने इस पर अपना जवाब देते हुए कहा, 'मैं VIP नहीं हूं, मैं एक आम आदमी हूं. मुझे वहां जाना है.' उन्होंने साफ किया कि अगर कुछ भी गलत हुआ तो उसकी जिम्मेदारी वे खुद लेंगे.
प्रधानमंत्री ने गोधरा घटनास्थल पर पहुंचने के बाद वहां के दृश्य को याद किया. उन्होंने कहा, 'कई शव... आप कल्पना कर सकते हैं... मैं भी एक इंसान हूं, मैंने भी कुछ महसूस किया. लेकिन मुझे पता था कि इस पद पर होने के नाते मुझे अपनी भावनाओं से अलग रहना होगा.' उन्होंने खुद को पूरी तरह से नियंत्रण में रखा और स्थिति को संभालने के लिए हर संभव प्रयास किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने 2002 के गुजरात विधानसभा चुनावों का भी जिक्र किया, जो गोधरा घटनाक्रम के बाद हुए थे. उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती थी. 'मैंने कभी टीवी नहीं देखा और न ही नतीजे देखे.' उन्होंने बताया कि चुनाव परिणामों से प्रभावित हुए बिना उन्होंने अपने कार्य को प्राथमिकता दी और हर चुनौती का सामना किया.
उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव परिणामों के बारे में उन्हें एक पत्र मिला, जिसमें बताया गया था कि वे दो-तिहाई बहुमत से आगे चल रहे थे. पीएम मोदी ने कहा, 'मैंने खुद को उस दिन पूरी तरह से संयमित रखा,'
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बातचीत के दौरान यह भी बताया कि संकट और चिंताओं के बीच उनका मानसिक संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी था. उनके अनुसार, एक नेता को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करते हुए फैसले लेने होते हैं और यह उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति से ऊपर उठकर काम करने का समय था.