भारत और डेनमार्क के बीच कूटनीतिक रिश्ते तेजी से नए आयाम छू रहे हैं. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत ने इस साझेदारी को और मजबूती दी. दोनों नेताओं ने न सिर्फ द्विपक्षीय सहयोग पर जोर दिया बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार साझा किए.
पीएमओ द्वारा जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई. इस साझेदारी के अंतर्गत व्यापार, निवेश, नवाचार, ऊर्जा, जल प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गति देने पर सहमति बनी. प्रधानमंत्री मोदी ने डेनमार्क को यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए शुभकामनाएं भी दीं.
बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थायी नीति दोहराई और शांति बहाली की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया. वहीं, प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन ने रूस-यूक्रेन युद्ध के वैश्विक असर का उल्लेख करते हुए सहयोग की अहमियत को रेखांकित किया. दोनों नेताओं ने वैश्विक चुनौतियों का समाधान मिलकर खोजने की बात कही.
Had a very good conversation with Prime Minister Mette Frederiksen of Denmark today. We reaffirmed our strong commitment to strengthening our Green Strategic Partnership and to an early conclusion of the India-EU Free Trade Agreement. Conveyed best wishes for Denmark’s Presidency…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 16, 2025
प्रधानमंत्री फ्रेडरिकसन ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (India-EU Free Trade Agreement) के शीघ्र निष्कर्ष पर डेनमार्क का पूरा समर्थन दोहराया. उन्होंने भारत द्वारा 2026 में आयोजित किए जाने वाले एआई इम्पैक्ट समिट की सफलता के लिए शुभकामनाएं भी दीं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक्स पर पोस्ट कर कहा कि दोनों देशों ने ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप और एफटीए पर आगे बढ़ने की मजबूत प्रतिबद्धता जताई है.
भारत और डेनमार्क के बीच राजनयिक संबंध 1949 में स्थापित हुए थे. दोनों देशों के रिश्ते साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और शांति व स्थिरता की चाह पर आधारित हैं. सितंबर 2020 में हुए वर्चुअल समिट के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को 'ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप' के स्तर तक ऊंचा किया गया था. तब से यह साझेदारी भारत-डेनमार्क संबंधों की दिशा तय कर रही है और मौजूदा बातचीत उसी कड़ी को आगे बढ़ाने का प्रतीक है.