भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों पर छाए तनाव के बीच व्हाइट हाउस ट्रेड काउंसलर पीटर नवारो का नया बयान विवादों में घिर गया है. उन्होंने भारत को रूस से तेल खरीदकर पश्चिम को सप्लाई करने का 'लॉन्ड्रोमैट' बताते हुए कहा कि "ब्राह्मण भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं.'
यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में चीन और रूस के नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नजर आए. नवारो के इस बयान ने न केवल राजनीतिक हलकों बल्कि सोशल मीडिया पर भी भारी नाराज़गी को जन्म दिया है.
पीटर नवारो ने एक अमेरिकी चैनल पर चर्चा के दौरान कहा 'मोदी एक महान नेता हैं, लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि वे पुतिन और जिनपिंग जैसे नेताओं के साथ क्यों खड़े हैं, जबकि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है. भारतीय जनता को समझना चाहिए कि ब्राह्मण उनकी कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं.' नवारो के इस बयान को अमेरिकी राजनीति का भारत के खिलाफ एक नया हमला माना जा रहा है. हालांकि अमेरिका में 'ब्राह्मण' शब्द का इस्तेमाल अक्सर अमीर और प्रभावशाली तबके के लिए रूपक के तौर पर किया जाता है, लेकिन भारत में इसका संदर्भ अलग है, जिससे विवाद और गहराता जा रहा है.
नवारो के बयान ने भारतीय बुद्धिजीवियों, विश्लेषकों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को गुस्से से भर दिया. कई लोगों ने उन्हें 'सनकी' और 'दुष्ट' तक कह डाला. ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर मीम्स और व्यंग्यात्मक पोस्ट की बाढ़ आ गई. कुछ यूजर्स ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 'व्लादिमीर पांडे' बना दिया तो कुछ ने ब्राह्मणों को 'शुद्ध रूसी तेल से हवन' करते हुए दिखाया. यह मज़ाक उड़ाने का तरीका था, लेकिन इसके पीछे छिपी नाराजगी अमेरिकी बयानबाजी के खिलाफ साफ झलक रही थी.
जहां एक ओर नवारो और ट्रंप समर्थक लगातार भारत पर हमला बोल रहे हैं, वहीं अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट रिश्तों को बचाने की कोशिश में जुटा है. भारत में अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी करते हुए कहा 'भारत और अमेरिका का रिश्ता 21वीं सदी की सबसे अहम साझेदारी है. दोनों देशों के बीच नवाचार, रक्षा, अंतरिक्ष और व्यापार जैसे क्षेत्रों में लगातार प्रगति हो रही है.' यह संदेश साफ था कि अमेरिका के आधिकारिक संस्थान रिश्तों को पटरी पर रखना चाहते हैं, लेकिन ट्रंप खेमे के लोग बार-बार इस पर पानी फेर रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि नवारो जैसे नेता दरअसल ट्रंप की ही सोच को आगे बढ़ा रहे हैं. ट्रंप पहले भी भारत की अर्थव्यवस्था को 'डेड इकॉनॉमी' कह चुके हैं और रूस के साथ भारत के रिश्तों पर सवाल उठा चुके हैं. जुलाई में ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ सोशल' पर लिखा था 'मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है, वे अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को साथ लेकर डूब सकते हैं.' इस तरह के बयानों से साफ है कि भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक और राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है.