Parliament Journalist Restrictions: संसद में मीडियाकर्मियों, विशेषकर टेलीविजन रिपोर्टरों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाए जाने तथा उन्हें शीशे के घेरे में सीमित रखने के निर्णय से सोमवार को राजनीतिक हंगामा मच गया. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मीडिया के कुछ सदस्यों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के बाद अध्यक्ष ओम बिरला से “मीडिया को जेल से रिहा करने” का आग्रह किया. बाद में बिड़ला ने पत्रकारों के एक बड़े समूह से मुलाकात की और कई रियायतों का वादा किया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकारों और स्पीकर की मुलाकात में ये भी तय किया गया कि मीडिया भी कुछ मानदंडों का पालन करेगा जैसे कि परिसर के अंदर गैर-सांसदों का इंटरव्यू नहीं करना, या नए संसद भवन के मुख्य द्वार 'मकर द्वार' की सीढ़ियों पर सांसदों से बात नहीं करना. एक सीनियर पत्रकार ने कहा कि बैठक का नतीजा सकारात्मक रहा. हालांकि, इससे पहले सरकार के फैसले को लेकर कुछ पत्रकारों ने भी नाराजगी जताई.
Journalists stage protest in Parliament against restrictions on their movement in the premises and also they were removed to stand in front of “Makar Dwar”. At this Dwar, they used to interact with Parliamentarians from all sides
We demand lifting of restrictions imposed on them pic.twitter.com/Trp2GfDczq— Press Club of India (@PCITweets) July 29, 2024Also Read
पत्रकारों के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर सहमति जताई कि मीडिया के लिए घेरा बढ़ाया जाएगा और ट्रांसपोर्ट भवन के सामने वाले गेट से मीडिया का प्रवेश फिर से शुरू किया जाएगा. बैठक में शामिल पत्रकार ने कहा कि मीडिया को प्रवेश की जांच में प्राथमिकता दी जाएगी और स्थायी पास जारी किए जाएंगे. मीडिया प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के गेट को छोड़कर सभी गेट से बाहर निकल सकता है. उन्होंने कहा कि मीडिया के लिए कैंटीन की सुविधा में भी सुधार किया जाएगा.
संसद के कुछ पदाधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार को जब किसान नेता गांधी से मिलने आए थे, तब कुछ टीवी पत्रकारों ने उनसे बात की थी. नाम न बताने की शर्त पर एक सीनियर पदाधिकारी ने बताया कि कुछ शिकायतें ऐसी भी मिली हैं कि मीडिया मकर द्वार की सीढ़ियों पर सांसदों से बात करता है, जो पूरी तरह प्रतिबंधित है.
सोमवार को टीवी कैमरापर्सन को निर्देश दिया गया कि वे घेरे में ही रहें और कहीं और बाइट न लें. पुरानी संसद में भी मीडिया के लिए घेरे थे, लेकिन सांसदों से साक्षात्कार करने पर प्रतिबंध आमतौर पर सख्ती से लागू नहीं होते थे. पत्रकारों को घेरे में रखने के फैसले से विवाद पैदा हो गया और विपक्षी नेताओं जैसे कार्ति चिदंबरम, डेरेक ओ ब्रायन और प्रियंका चतुर्वेदी ने मौके का दौरा किया और मीडिया संगठनों ने प्रतिबंध हटाने की मांग की.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने पत्रकारों पर लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें पत्रकार शीशे के एक छोटे से कमरे में बैठे नजर आ रहे हैं. कांच का यह कमरा बहुत भीड़भाड़ वाला है, इसलिए पीसीआई ने इस प्रतिबंध को हटाने की मांग की.
दरअसल, पहले पत्रकार नए संसद भवन के मकर गेट पर सांसदों से बातचीत करते थे, लेकिन अब उन्हें वहां खड़े होने की इजाजत नहीं है. मकर द्वार के सामने उनके लिए शीशे का कमरा बनाया गया है. अब वहीं से पत्रकार सांसदों की गतिविधियों को कवर कर रहे हैं. पत्रकारों का कहना है कि इस कक्ष में जगह की कमी के कारण पत्रकारों को असुविधा हो रही है.