जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस मामले में सोमवार को चार्जशीट दाखिल करने जा रही है.
जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस चार्जशीट में न केवल मारे गए आतंकियों की पहचान उजागर होगी, बल्कि यह भी स्पष्ट किया जाएगा कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था, न कि कोई अकेली घटना.
NIA की चार्जशीट में ऑपरेशन महादेव के दौरान ढेर किए गए तीन आतंकियों के नाम दर्ज किए जाएंगे. जांच एजेंसी का मानना है कि ये तीनों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और पहलगाम हमले की साजिश में सीधे शामिल थे. यह ऑपरेशन सुरक्षा बलों के लिए अहम साबित हुआ, क्योंकि इससे हमले में शामिल शूटरों का खात्मा हुआ और जांच को ठोस दिशा मिली.
जांच में सामने आया है कि मारे गए तीन आतंकियों में से दो को स्थानीय स्तर पर सक्रिय सहायता मिली थी. सूत्रों के अनुसार, ये मददगार गुज्जर-बक्करवाल समुदाय से जुड़े कुछ परिवारों के सदस्य थे. NIA ने साफ किया है कि यह निष्कर्ष केवल कुछ व्यक्तियों तक सीमित है, पूरे समुदाय पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है.
चार्जशीट में बताया गया है कि स्थानीय मददगारों ने आतंकियों को अस्थायी ठिकाने, जरूरी सामान और जंगलों के रास्तों की जानकारी दी. इसी सहायता के चलते आतंकी लंबे समय तक सुरक्षा बलों से बचते रहे और हमले से पहले पहलगाम के आसपास आवाजाही कर सके. यह सहयोग साजिश की एक मजबूत कड़ी के रूप में सामने आया है.
तीसरे आरोपी के तौर पर चार्जशीट में साजिद जट्ट का नाम शामिल किए जाने की संभावना है. जांच एजेंसी के अनुसार, वह सीमा पार बैठे आकाओं के संपर्क में था और पूरे आतंकी मॉड्यूल का समन्वय कर रहा था. संचार व्यवस्था बनाए रखना और हमलावरों को निर्देश देना उसकी अहम जिम्मेदारी थी.
NIA ने इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA की कड़ी धाराएं लगाई हैं. एजेंसी का मानना है कि यह हमला कश्मीर को अस्थिर करने की व्यापक लश्कर रणनीति का हिस्सा था. अधिकारियों के अनुसार, यह चार्जशीट भविष्य में आतंकी नेटवर्क और उसके समर्थन तंत्र के खिलाफ कार्रवाई को मजबूत आधार देगी.