मलप्पुरम: केरल राज्य के मलप्पुरम जिले में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव के बाद एक विवाद खड़ा हो गया है. यह विवाद सीपीएम से जुड़े एक स्थानीय नेता सईद अली मजीद के बयान को लेकर है, जिसे महिलाओं के प्रति अपमानजनक और पिछड़ी सोच वाला माना जा रहा है. स्थानीय चुनाव में मिली जीत के बाद दिए गए उनके भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके बाद उनकी कड़ी आलोचना हो रही है.
यह घटना मलप्पुरम जिले की थेन्नाला पंचायत से जुड़ी है. सईद अली मजीद पहले सीपीएम के स्थानीय सचिव थे, लेकिन उन्होंने चुनाव से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे. उनका मुकाबला इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की एक महिला उम्मीदवार से था. कड़े मुकाबले में मजीद को कुल 666 वोट मिले और उन्होंने सिर्फ 47 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की.
चुनाव जीतने के बाद मजीद ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए ऐसा भाषण दिया, जिसे महिलाओं का अपमान करने वाला बताया जा रहा है. अपने भाषण में उन्होंने कहा कि शादी करके घर आने वाली महिलाओं को राजनीति में लाकर वोट मांगने या किसी वार्ड पर कब्जा करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं की भूमिका केवल घर और पति तक ही सीमित होनी चाहिए. मामूली अंतर से चुनाव जीतने वाले सईद अली ने अपने विवादास्पद भाषण में यह भी संकेत दिया कि महिलाएं केवल अपने पतियों के साथ सोने के लिए हैं.
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग राजनीति में आलोचना या सवालों का सामना नहीं कर सकते, उन्हें राजनीति से दूर रहकर घर पर ही रहना चाहिए. यह बयान IUML की महिला विंग की एक नेता के हालिया वीडियो के जवाब में दिया गया था, जिसमें उस महिला नेता ने अपनी पार्टी से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी करने से मना किया था.
मजीद के इस बयान के बाद विवाद इसलिए और बढ़ गया क्योंकि, इसे महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी पर सीधा हमला माना गया. लोगों का कहना है कि ऐसे बयान महिलाओं को कमजोर और कमतर दिखाने वाली सोच को बढ़ावा देते हैं. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस बयान को पुरानी और पुरुष प्रधान मानसिकता का उदाहरण बताया है. राजनीतिक हलकों और आम जनता के बीच भी इस मुद्दे पर नाराजगी देखी जा रही है.
सईद अली मजीद ने चुनाव एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था, फिर भी उनका नाम सीपीएम से जुड़े नेता के रूप में लिया जा रहा है. इस पूरे मामले ने केरल की राजनीति में महिलाओं की भूमिका और सम्मान को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.