देश की संप्रभुता और सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सरकार ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान केंद्र ने डिजिटल मीडिया पर फैलाई जा रही झूठी और भड़काऊ सूचनाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 1,400 से अधिक फर्जी URLs को ब्लॉक कर दिया. यह कार्रवाई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A के तहत की गई, जिसका मकसद देश की अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना है.
केंद्रीय रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि जिन 1,400 से ज्यादा डिजिटल URLs को ब्लॉक किया गया, वे गलत और भ्रामक जानकारी, भारत विरोधी नैरेटिव, सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाले संदेश और भारतीय सशस्त्र बलों व संसद को निशाना बनाने वाली सामग्री से जुड़े थे. इनका स्रोत ज्यादातर पाकिस्तान से संचालित सोशल मीडिया अकाउंट्स थे, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले के दौरान सक्रिय हो गए थे.
सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक केंद्रीयकृत कंट्रोल रूम स्थापित किया, जो दिन-रात चौबीसों घंटे कार्य करता रहा. इस कंट्रोल रूम में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रतिनिधि, विभिन्न सरकारी मीडिया इकाइयों के अधिकारी और प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) के सदस्य शामिल थे. इसका उद्देश्य मीडिया के सभी पक्षों तक सटीक जानकारी तुरंत पहुंचाना था. साथ ही सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों और फेक कंटेंट की पहचान भी की जाती रही.
PIB के अंतर्गत कार्यरत फैक्ट चेक यूनिट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन न्यूज स्रोतों की निगरानी कर फर्जी फोटो, एडिटेड वीडियो और गलत जानकारी को चिन्हित किया गया. मंत्री ने बताया कि इस यूनिट ने पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा को उजागर कर भारत और उसके सुरक्षा बलों के खिलाफ फैलाई जा रही अफवाहों का तत्काल खंडन किया. 26 अप्रैल 2025 को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी मीडिया चैनलों को एडवाइजरी जारी कर लाइव रक्षा ऑपरेशन और सुरक्षाबलों की मूवमेंट का प्रसारण न करने की हिदायत दी थी, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित न हो.