इसके साथ ही डोभाल ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और उनके सहयोगियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए. आतंकवाद के हर रूप की कड़ी निंदा की जानी चाहिए, चाहे वह कहीं से भी उत्पन्न हुआ हो. उन्होंने सभी SCO सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे आतंकियों को संरक्षण देने वाले देशों की पहचान करें और उनके खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करें. डोभाल ने कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद के खतरों से दशकों से जूझ रहा है और 26/11 मुंबई हमले में इसका स्पष्ट उदाहरण देखा जा सकता है. SCO के दूसरे सदस्य भी सुरक्षा सलाहकारों के इस सेशन में मौजूद थे. भारत ने शंघाई, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और इसके पर्यवेक्षक देश बेलारूस तथा SCO संवाद साझेदार समूहों से लगातार ऐसे सभी स्वरूपों की निंदा करने की बात कही.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद नई दिल्ली ने आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट करने और उन्हें भारत में हमले करने से रोकने के उद्देश्य से ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के संगठन टीआरएफ (The Resistance Front) ने ली थी, जिसमें 26 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे. एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि भारत की यह कार्रवाई संतुलित और गैर-उकसावे वाली थी. उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमा पार आतंकवाद सहित किसी भी तरह का आतंकी कृत्य मानवता के खिलाफ अपराध है.
डोभाल ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि आतंकी संगठनों को फंडिंग और हथियारों की आपूर्ति रोकना बहुत जरूरी है. डोभाल ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत आतंकी नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि आतंकवाद को किसी धर्म, संस्कृति, नस्ल या राष्ट्रीयता से जोड़ना सही नहीं है और यह पूरे विश्व समुदाय की जिम्मेदारी है कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कदम उठाए जाएं. डोभाल ने SCO को आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक आवाज़ उठाने के लिए एक प्रभावशाली मंच बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि विश्व समुदाय आतंक के समर्थन को पूरी तरह समाप्त करे.
एनएसए डोभाल ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों से अपील की कि वे आतंकी हमलों के अपराधियों, योजनाकारों, वित्तपोषकों और संरक्षकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने में मदद करें. उन्होंने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से लड़ने के लिए संयुक्त सूचना अभियान चलाने की भी वकालत की.