नई दिल्ली: पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से हैदराबाद हाउस में मुलाकात की. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत न्यूट्रल नहीं है. भारत शांति के पक्ष में है. पीएम मोदी ने पुतिन के सामने कहा कि दुनिया को एक बार फिर शांति की जरूरत है. भारत शांति की हर कोशिश का समर्थन करता है.
शुक्रवार को दिल्ली में अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन की एक दूरदर्शी नेता के रूप में प्रशंसा की और इस बात पर ज़ोर दिया कि यह "शांति का युग" है. वहीं, पुतिन ने यूक्रेन में शांति की कोशिशों के लिए पीएम मोदी का आभार जताया. उन्होंने कहा कि रूस भी शांति के पक्ष में है.
भारत तटस्थ नहीं है, भारत का एक पक्ष है-पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत तटस्थ नहीं है. भारत का एक पक्ष है और वह पक्ष शांति का है. हम शांति के सभी प्रयासों का समर्थन करते हैं और हम शांति के सभी प्रयासों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं." पुतिन उनके बगल में बैठकर उनकी बातें ध्यान से सुन रहे थे.
इस मुलाकात के दौरान, दोनों नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल साफ़ दिखाई दिया, जिसने रूस और भारत के बीच मज़बूत रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है. पिछले 11 वर्षों में दोनों नेताओं की 19 बार मुलाक़ात हो चुकी है.
चार साल से चल रहे यूक्रेन युद्ध ने पुतिन को एक तरह से बहिष्कृत कर दिया है, क्योंकि पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं. रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब ट्रंप प्रशासन यूक्रेन और रूस के बीच शांति समझौते के लिए मध्यस्थता करने का प्रयास कर रहा है. रूस को भारत का "सच्चा मित्र" बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने तेजी से हो रहे भू-राजनीतिक परिवर्तन के बीच विश्वास के महत्व पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा, "यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से हम लगातार बातचीत कर रहे हैं. समय-समय पर, आपने भी एक सच्चे मित्र की तरह हमें हर बात से अवगत कराया है. मेरा मानना है कि विश्वास एक बड़ी ताकत है... राष्ट्रों का कल्याण शांति के मार्ग में निहित है. हम सब मिलकर दुनिया को उस मार्ग पर ले जाएंगे."
प्रधानमंत्री ने 2001 में पुतिन द्वारा किए गए गर्मजोशी भरे स्वागत की भी प्रशंसा की, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. यह उनकी पहली राजनयिक बातचीत थी. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि 2001 में आपने जो भूमिका निभाई, वह इस बात का एक आदर्श उदाहरण है कि एक दूरदर्शी नेता कैसे सोचता है वे कहां से शुरुआत करते हैं और संबंधों को कितनी दूर तक ले जा सकते हैं. भारत-रूस संबंध इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं."