Bengali Identity Controversy: दिल्ली पुलिस के एक पत्र में 'बांग्लादेशी भाषा' शब्द के इस्तेमाल को लेकर उठे विवाद ने सोमवार को राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए इसे बंगालियों के प्रति अपमानजनक और संविधान विरोधी करार दिया.
रविवार को ममता बनर्जी ने X पर गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा कि दिल्ली पुलिस बंगाली को 'बांग्लादेशी भाषा' बता रही है, जो न केवल अपमानजनक है बल्कि भारत में बंगाली भाषा बोलने वाले करोड़ों लोगों का अपमान है.
Mamata Banerjee’s reaction to Delhi Police referring to the language used by infiltrators as ‘Bangladeshi’ is not just misplaced, it is dangerously inflammatory.
Nowhere in the Delhi Police letter is Bangla or Bengali described as a ‘Bangladeshi’ language. To claim otherwise and… https://t.co/Ynb5o8cT6n— Amit Malviya (@amitmalviya) August 4, 2025Also Read
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सोमवार को तृणमूल कांग्रेस ने एक आधिकारिक पोस्ट में कहा कि बीजेपी संगठित रूप से जेनोफोबिया यानी विदेशी विरोध और 'दूसरेपन' को बढ़ावा दे रही है, जिसमें खासतौर पर बंगालियों को निशाना बनाया जा रहा है. पार्टी ने इसे एक खतरनाक बताया जिसे हर स्तर पर रोका जाना चाहिए.
“There is, in fact, no language called Bengali” — This shocking justification by @BJP4India-run institutions while profiling Bengali migrant workers reflects the regime’s deep-rooted hostility towards the Bengali identity.
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) August 4, 2025
Denying the existence of a constitutionally recognised… pic.twitter.com/0m8cDecKnJ
बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने जवाब में ममता बनर्जी के बयानों को खतरनाक रूप से भड़काऊ बताया और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA के तहत कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने बंगाली को बांग्लादेशी भाषा नहीं कहा, बल्कि यह संदर्भ अवैध घुसपैठियों की पहचान से जुड़ा है.
मालवीय ने दावा किया कि पुलिस ने 'बांग्लादेशी भाषा' शब्द का प्रयोग केवल उन भाषाई स्वरूपों के लिए किया जो भारतीय बंगाली से भिन्न हैं. उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी बंगला में सिलहटी जैसे उपभाषाएं शामिल हैं, जो भारतीय बंगालियों के लिए लगभग अपरिचित हैं.
उन्होंने यह भी जोड़ा कि 'बंगाली' शब्द एक संपूर्ण भाषा नहीं है बल्कि एक जातीयता को दर्शाता है, इसलिए पुलिस ने 'बांग्लादेशी भाषा' को शॉर्टहैंड के तौर पर इस्तेमाल किया. इस पर तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. पार्टी ने कहा कि यह कहना कि 'बंगाली' कोई भाषा नहीं है, एक गंभीर और खतरनाक औचित्य है जो केंद्र सरकार की बंगाली पहचान के प्रति शत्रुता को दर्शाता है. पार्टी ने इसे 'भाषाई रंगभेद' बताया.
विवादित पत्र दिल्ली में स्थित बंग भवन को भेजा गया था और यह एक विदेशी नागरिकता कानून से जुड़ी जांच का हिस्सा था. ममता बनर्जी ने इसे 'राष्ट्रीय अपमान' बताया और कहा कि यह सभी बंगाली भाषियों का अपमान है, और इसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता.'