NEET Paper Leak: किसी प्रतियोगी परीक्षा या फिर बोर्ड की परीक्षा होती है, तो छात्रों या फिर अभ्यर्थियों को दिया जाने वाला क्वेश्चन पेपर छपाई से लेकर एग्जाम सेंटर तक कई सुरक्षा चरणों से गुजरता है. आखिर में परीक्षा शुरू होने के करीब 30 मिनट पहले ये एग्जाम सेंटर पहुंचता है. फिर सील खुलने के बाद करीब 15 मिनट पहले छात्रों या अभ्यर्थियों के बीच बांटा जाता है. लेकिन पिछले महीने यानी 5 मई को हुए NEET एग्जाम के नतीजों के बाद पेपर लीक होने की आशंका जताई गई. इसके बाद जांच का सिलसिला चला तो ये आशंका भी सच साबित हो गई. अब सवाल ये है कि जो एग्जाम सुरक्षा के कई चरणों से गुजरता है, एग्जाम में छात्रों या अभ्यर्थियों को दिया जाने वाला क्वेश्चन पेपर आखिर लीक कैसे हो जाता है.
सवाल ये भी एग्जाम से कुछ घंटे पहले या कुछ दिन पहले ये सॉल्वर गैंग तक कैसे पहुंच जाता है. आखिर कमियां कहां है? हालांकि, NEET पेपर लीक मामले में इन सवालों के जवाब खोजे जा रहे हैं, लेकिन इससे पहले कई एग्जाम के पेपर लीक हो चुके हैं. कुछ में सरगनाओं को पकड़ा जा चुका है, जबकि कुछ में जांच पड़ताल जारी ही है. आइए, समझने की कोशिश करते हैं कि छपाई से लेकर एग्जाम सेंटर में छात्रों या फिर अभ्यर्थियों तक पहुंचने वाला क्वेश्चन पेपर आखिर कैसे सुरक्षा के बीच से गुजरता है.
छह साल पहले CBSE बोर्ड के 10वीं के मैथ्स और 12वीं के इकोनॉमिक्स का पेपर लीक हुआ था. पेपर के लीक होने के बाद बवाल मच गया था. उस वक्त भी आज तक तरह छात्र सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे, तो पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़कर मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश में जुटी थी. उस वक्त आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, वो प्रक्रिया सामने आई थी, जिसके तहत पेपर तैयार करने से लेकर उसके एग्जाम सेंटर तक पहुंचने की जानकारी दी गई थी.
पहला चरण: सबसे पहले पेपर तैयार
सिद्धार्थनगर यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर आलोक शुक्ल के मताबिक, किसी भी एग्जाम से पहले एग्जाम लेने वाला बोर्ड या आयोग क्वेश्चन पेपर तैयार करता है. क्वेश्चन पेपर तैयार करने के लिए हर सब्जेक्ट के स्पेशलिस्ट को बुलाया जाता है. इनके पास अच्छा-खासा अनुभव होता है. ये एक्सपर्ट्स सवालों के एक से अधिक सेट बनाते हैं, फिर उन सवालों के सेट को बंद लिफाफे में बोर्ड या फिर आयोग के पास भेज दिया जाता है.
दूसरा चरण: सवालों के सेट का सिलेक्शन
डॉ. आलोक बताते हैं कि क्वेश्चन पेपर के सेट को आयोग या फिर बोर्ड के पास भेजे जाने के बाद दूसरी प्रक्रिया शुरू होती है. इसके तहत एक से अधिक सेट वाले सवालों में से कुछ-कुछ सवाल लिए जाते हैं और एक फ्रेश सेट तैयार किया जाता है. इसके बाद ये देखा जाता है कि ये सवाल छात्रों या फिर अभ्यर्थियों के स्टैंडर्ड के मुताबिक हैं या फिर नहीं. फिर सवालों के सेट को फाइनल कर उन्हें सील बंद कर दिया जाता है.
तीसरा चरण: प्रिंटिंग प्रेस में क्वेश्चन पेपर की छपाई
डॉ. आलोक बताते हैं कि तीसरे चरण में क्वेश्चन पेपर के फ्रेश सेट को छपाई के लिए बोर्ड या फिर आयोग के प्रिंटिंग प्रेस में भेज दिया जाता है. छपाई के बाद इसे काफी सेफ रखा जाता है. पहले इसे सीलबंद लिफाफे में रखा जाता था, लेकिन अब डिजिटल युग में इसे डिजीलॉकर में भी रखा जाने लगा है, जो काफी सेफ माना जाता है. लेकिन कई मामलों में इसके हैक होने का डर भी सामने आया है.
चौथा चरण: बैंक में रखे जाते हैं क्वेश्चन पेपर्स
क्वेश्चन पेपर की छपाई के बाद उसे बैंक के लॉकर में रखा जाता है. क्वेश्चन पेपर किस बैंक के लॉकर में रखा जाएगा, इसका चुनाव बोर्ड या फिर आयोग ही करता है.
पांचवा चरण: बैंक से सेंटर तक पहुंचता है पेपर
डॉ. आलोक एमएलके डिग्री कॉलेज में एग्जामिनेशन कॉर्डिनेशन कमेटी के हेड भी हैं. वे बताते हैं कि आखिरी चरण में एग्जाम वाले दिन क्वेश्चन पेपर को परीक्षा के शुरू होने के कुछ मिनट पहले बैंक से निकाला जाता है और सुरक्षा व्यवस्था के बीच एग्जाम सेंटर पर पहुंचाया जाता है. यहां सीलबंद लिफाफे में रखे गए क्वेश्चन पेपर को अफसरों के सामने खोला जाता है. मान लीजिए कि सवाल किसी इलेक्ट्रिक डिवाइस में रखा गया है तो फिर तय समय पर इसे पासवर्ड के जरिए खोला जाता है. इन दिनों डिजिटल लॉक का भी कॉन्सेप्ट चर्चा में है.
मामले की जांच में जुटी EOU की ओर से केंद्र को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि एनटीए के सिस्टम में खामियां हैं. क्वेश्चन पेपर के स्टोरेज से लेकर उसके ट्रांसपोर्टेशन और हैंडओवर के दौरान किसी प्वाइंट पर चूक हुई है. ये चूक आखिर कहां हुई है, इसकी पड़ताल की जा रही है. जानकारी के मुताबिक, NEET यूजी-2024 के पेपर के स्टोरेज की जिम्मेदारी एसबीआई बैंक और ब्लू डार्ट के पास था. दोनों के कर्मचारियों से पूछताछ की गई है.