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India Daily

पेंगुइन के बच्चों के अंग्रेजी नाम को लेकर मचा बवाल, इस भाषा में नामकरण करने की BJP नेता ने की बड़ी मांग

मुंबई के बाईकुल्ला जू में तीन नन्हे पेंगुइन के बच्चों के नामकरण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. BJP नेता नितिन बांकर ने मांग की है कि इन बच्चों के नाम अंग्रेजी के बजाय मराठी में रखे जाएं.

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Edited By: Princy Sharma
Byculla Zoo Penguin
Courtesy: Pinterest

मुंबई के बाईकुल्ला जू में तीन नन्हे पेंगुइन के बच्चों के नामकरण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. BJP नेता नितिन बांकर ने मांग की है कि इन बच्चों के नाम अंग्रेजी के बजाय मराठी में रखे जाएं. यह विवाद तब शुरू हुआ जब जू ने पेंगुइन के बच्चों को 'नॉडी', 'टॉम' और 'पिंगू' नाम दिए, जबकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि पेंगुइन महाराष्ट्र में पैदा हुए हैं, इसलिए उनके नाम मराठी में होने चाहिए थे.

नितिन बांकर, जो बाईकुल्ला विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के नेता हैं उन्होंने इस मुद्दे को लेकर जू के बाहर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा, 'जब पेंगुइन विदेशी से लाए गए थे तो उनकी नामकरण प्रक्रिया को स्वीकार किया गया था. लेकिन जो पेंगुइन हमारे महाराष्ट्र की धरती पर जन्मे हैं, उनके नाम मराठी में होना चाहिए.'

BMC पर गंभीर आरोप

नितिन बांकर ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने बार-बार BMC (Brihanmumbai Municipal Corporation) से इस मुद्दे पर बात की, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा, 'हमने अपनी मांग रखी थी, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया. मैंने BMC प्रशासन को पत्र भी लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया.'

पेंगुइन के नाम और उनके कारण

जू ने पेंगुइन के बच्चों के नाम 'नॉडी', 'टॉम' और 'पिंगू' रखे हैं, जो कि एक परंपरा का हिस्सा हैं, जो 2016 में दक्षिण कोरिया से लाए गए पहले बैच के पेंगुइन से शुरू हुई थी. इस बार के तीनों पेंगुइन के माता-पिता 'पोपी और ओलिव' (नॉडी के लिए), और 'डेजी और डोनाल्ड' (टॉम और पिंगू के लिए) हैं. जू अधिकारियों के अनुसार, टॉम को 'जैरी' नामक चूजी के साथ मेल करने के लिए नामित किया गया था, जो जून 2023 में पैदा हुआ था.

जू में हो रहा विस्तार

यह जानकारी भी सामने आई है कि जू में अब कुल 21 हंबोल्ट पेंगुइन हैं और इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है. जू में जल्द ही पेंगुइन के लिए एक नया क्षेत्र तैयार किया जाएगा, जो 400 वर्ग फुट बड़ा होगा और इसमें लगभग 40 पेंगुइन की जगह होगी. इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें भाषा और संस्कृति का सवाल जुड़ा हुआ है. क्या बीएमसी इस मामले पर ध्यान देगी? क्या पेंगुइन के नाम अब मराठी में रखे जाएंगे? यह सवाल अब तक अनुत्तरित है.