Himachal disaster report 2025: हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष का मानसून विनाशकारी साबित हुआ है. 20 जून से 18 जुलाई के बीच राज्य में भारी बारिश, बादल फटने, भूस्खलन और सड़क दुर्घटनाओं ने 116 लोगों की जान ले ली है. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 68 मौतें सीधे तौर पर प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ी हैं, जबकि 48 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में एक महीने से भी कम समय में 33 बार बाढ़ जैसी स्थिति बनी, 22 बादल फटे और 19 भूस्खलन की घटनाएं हुईं. बारिश से जुड़ी मौतों में 14 की जान फ्लैश फ्लड्स में गई, 14 की मौत बादल फटने से हुई, 12 लोग डूबकर मरे, 5 की मौत बिजली गिरने और करंट लगने से हुई, जबकि अन्य कारणों जैसे चट्टान गिरना और सांप काटने से 22 लोगों की मौत हुई.
सड़क हादसों में 48 लोगों की जान गई. सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं सोलन, कुल्लू , चंबा और शिमला जिलों में दर्ज की गईं. इन हादसों के पीछे भारी बारिश के कारण खराब सड़कें, दृश्यता में कमी और कमजोर ढलानों का योगदान बताया गया है.
सबसे ज्यादा बारिश से जुड़ी मौतें मंडी और कांगड़ा में हुईं, लाहौल-स्पीति भी प्रभावित जिलों में शामिल रहा. वित्तीय दृष्टि से भी इस मानसूनी आपदा ने हिमाचल को भारी नुकसान पहुंचाया है. सार्वजनिक ढांचे, घरों, पशुधन और फसलों को हुए नुकसान का आकलन कर राज्य सरकार ने 1,230 करोड़ रुपये (1,23,000 लाख रुपये) की क्षति की पुष्टि की है.
आपदा प्रबंधन इकाइयों ने लोगों से अपील की है कि वे संवेदनशील क्षेत्रों में अनावश्यक यात्रा से बचें और प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करें. राहत व बचाव कार्य में NDRF, SDRF के साथ - साथ होम गार्ड्स और स्थानीय प्रशासन जुटा हुआ है.
राज्य सरकार ने केंद्र से सहायता की मांग की है और मौसम विभाग की ताजा चेतावनियों को देखते हुए अगले कुछ दिनों तक हाई अलर्ट की स्थिति बरकरार रखने का फैसला किया है.