महाराष्ट्र में भाषा विवाद के बीच एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है. शिवसेना के नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री प्रताप सरनाइक ने ठाणे में विपक्षी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की कोशिश की, लेकिन एमएनएस कार्यकर्ताओं ने उन्हें हूट करते हुए प्रदर्शन स्थल से भगा दिया. यह घटना उस समय हुई जब राज्य में ‘स्लैपगेट’ घटना को लेकर तनाव चरम पर है, जिसमें एमएनएस कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार पर मराठी न बोलने के लिए हमला किया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज ठाकरे के नेतृत्व वाली एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने ठाणे के मीरा रोड पर ‘स्लैपगेट’ के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों का जवाब देने के लिए मंगलवार सुबह एक मार्च निकाला. पुलिस ने इस प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी, जिसके बाद कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया.
एमएनएस का आक्रामक प्रदर्शन
पुलिस वैन में ले जाए जाते समय कई एमएनएस कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया कि दुकानदारों को ‘स्लैपगेट’ के खिलाफ प्रदर्शन की अनुमति क्यों दी गई, जबकि उनके जवाबी प्रदर्शन पर रोक लगाई गई. उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मराठी सीखनी होगी, अन्यथा उन्हें “परिणाम भुगतने होंगे.
मुख्यमंत्री फडणवीस का बयान
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में पुलिस पर लगे आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में सभी को विरोध मार्च निकालने का अधिकार है. पुलिस की अनुमति लेकर कोई भी ऐसा कर सकता है. लेकिन ट्रैफिक और भीड़भाड़ जैसे मुद्दों को ध्यान में रखना जरूरी है.
पुलिस आयुक्त ने मुझे बताया कि एमएनएस नेताओं से मार्ग बदलने को कहा गया था, लेकिन वे अड़े रहे. इसलिए पुलिस को उन्हें रोकना पड़ा.” विपक्ष पर निशाना साधते हुए फडणवीस ने कहा, “मुझे महाराष्ट्र का मिजाज पता है. इस तरह के प्रयोग यहां काम नहीं करेंगे. मराठी व्यक्ति का दिल बड़ा होता है, वह छोटी सोच नहीं रखता.
स्लैपगेट’ की शुरुआत
भाषा विवाद का केंद्र एक रविवार रात की घटना है, जिसमें मीरा रोड पर ‘जोधपुर स्वीट शॉप’ चलाने वाले 48 वर्षीय बाबूलाल चौधरी और उनके कर्मचारी बघाराम पर एमएनएस कार्यकर्ताओं ने हमला किया. हमलावरों ने मराठी में बात करने की मांग की, जबकि चौधरी ने कहा कि महाराष्ट्र में सभी भाषाएं बोली जाती हैं. इस हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने भाषा विवाद को और भड़का दिया.
सियासी पृष्ठभूमि और ठाकरे बंधुओं का गठजोड़
यह विवाद महाराष्ट्र की सियासत में बड़े बदलावों के बीच उभरा है. उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे, जो पहले अलग-अलग रास्तों पर थे, अब ‘स्लैपगेट’ और बीजेपी के हमलों के खिलाफ एकजुट हो गए हैं. यह घटना तब हुई जब राज्य सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला लिया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया.
बीजेपी और ठाकरे के बीच तीखी बयानबाजी
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ठाकरे बंधुओं पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, “अगर तुममें इतनी हिम्मत है कि हिंदी बोलने वालों को पीट सकते हो, तो उर्दू, तमिल, और तेलुगु बोलने वालों को भी पीटो. अगर तुम इतने बड़े ‘बॉस’ हो, तो महाराष्ट्र से बाहर निकलो, बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु आओ—तुम्हें पटक-पटक कर मारेंगे.”जवाब में उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर “बांटो और राज करो” की नीति अपनाने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, “मैं किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन जबरदस्ती थोपने का विरोध करूंगा. बीजेपी हमेशा से बांटने की सियासत करती आई है. यह तरीका अब पुराना पड़ चुका है. शनिवार को मुंबई में हमारी रैली की सफलता से उनकी पार्टी बौखलाई हुई है.