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मनरेगा का नाम बदलेगी मोदी सरकार, अब लोगों को मिलेगा 125 दिनों का गारंटीड रोजगार

केंद्र सरकार ने मनरेगा का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ करने, गारंटीड रोजगार बढ़ाकर 125 दिन करने और न्यूनतम मजदूरी ₹240 प्रतिदिन करने का निर्णय लिया है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

ग्रामीण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए केंद्र सरकार ने मनरेगा में बड़े बदलावों को मंजूरी दी है. अब इस योजना को नए नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ के साथ लागू किया जाएगा. 

सरकार ने रोजगार की गारंटी 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन कर दी है और दैनिक मजदूरी भी बढ़ा दी है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ग्रामीण बेरोजगारी और श्रमिकों की आय सुरक्षा देश की प्रमुख चिंताओं में शामिल है. नए सुधार गांवों में काम और कमाई के अवसर बढ़ाने वाले साबित हो सकते हैं.

मनरेगा का नया नाम और विस्तारित रूप

सरकार ने 12 दिसंबर को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ कर दिया. नए नाम के साथ योजना के दायरे को भी विस्तारित किया गया है. अब हर पात्र ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिन का मजदूरी वाला काम सुनिश्चित किया जाएगा. सरकार का कहना है कि यह बदलाव ग्रामीण श्रमिकों की आर्थिक स्थिरता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है.

मजदूरी में बढ़ोतरी और इसका असर

योजना के तहत दी जाने वाली न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर ₹240 प्रतिदिन किया गया है. इससे लाखों श्रमिकों की आय में सीधा लाभ होगा. सरकार का तर्क है कि बढ़ती महंगाई और ग्रामीण मजदूरी दरों के मद्देनजर यह निर्णय जरूरी था. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में खपत बढ़ेगी और श्रमिकों की वित्तीय स्थिति बेहतर होगी.

मनरेगा की मूल भावना और उद्देश्य

मनरेगा को 2005 में ‘राइट टू वर्क’ यानी काम करने के अधिकार को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया था. इसका लक्ष्य ग्रामीण परिवारों को मजदूरी-आधारित सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है. श्रमप्रधान कार्यों के माध्यम से यह योजना ग्रामीण रोजगार बढ़ाती है और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करती है. नए बदलाव इसके मूल उद्देश्य को और व्यापक बनाएंगे.

कौन से काम किए जाते हैं योजना के तहत

योजना में सड़क निर्माण, तालाबों की खुदाई, मिट्टी कार्य, जल संरक्षण, वृक्षारोपण और सामुदायिक विकास जैसे कार्य शामिल होते हैं. महिलाओं की भागीदारी इस योजना की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही है. कई क्षेत्रों में मनरेगा ने प्रवासी श्रमिकों पर निर्भरता कम की है और गांवों में स्थायी संसाधन बनाए हैं.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए क्या मायने हैं ये बदलाव

125 दिनों के रोजगार और बढ़ी हुई मजदूरी से गांवों में काम की उपलब्धता बढ़ेगी. इससे ग्रामीण बेरोजगारी में कमी आने की उम्मीद है. कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ेगा. सरकार का दावा है कि नए रूप में यह योजना रोजगार की गारंटी के साथ-साथ विकास को भी गति देगी.