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'हिंदुओं पर क्यों किया जाता है लाठीचार्ज...',अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में स्टालिन सरकार को क्यों बताया सनातन विरोधी?-VIDEO

कार्तिगई दीपम विवाद को लेकर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने तमिलनाडु सरकार पर 'एंटी-सनातन' रुख अपनाने का आरोप लगाया. हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना, पुलिस कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट में राज्य की अपील ने मामला और गरमा दिया है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

नई दिल्ली: तमिलनाडु में कार्तिगई दीपम को लेकर उठा विवाद अब राजनीतिक और संवैधानिक टकराव में तब्दील हो गया है. विधानसभा से लेकर सड़क तक और अदालतों से लेकर संसद तक इस मुद्दे ने हलचल मचा दी है. 

बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए इसे 'एंटी-सनातन' मानसिकता बताया. वहीं, मद्रास हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना के आरोपों के बीच राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

लोकसभा में ठाकुर का कड़ा हमला

अनुराग ठाकुर ने संसद में कहा कि तमिलनाडु सरकार ऐसे बयान और फैसले ले रही है जो सनातन धर्म के खिलाफ दिखाई देते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए अदालत की मदद लेनी पड़ी और यहां तक कि उन पर लाठीचार्ज तक हुआ. ठाकुर ने सवाल उठाया 'हिंदुओं को रोका क्यों जा रहा है?'

हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना का आरोप

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने हाल ही में राज्य सरकार को कार्तिगई दीपम का दीप थिरुपरंकुंद्रम की दीपथून चट्टान पर जलाने का आदेश दिया था. अदालत ने अधिकारियों को साफ चेतावनी दी थी कि आदेश की अनदेखी गंभीर परिणाम ला सकती है. लेकिन राज्य सरकार लगातार दो दिनों तक आदेश के पालन से पीछे हटती दिखी.

जमीन पर तनाव और गिरफ्तारियां

हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद पुलिस ने श्रद्धालुओं को पहाड़ी तक पहुंचने से रोका. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन समेत कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया. क्षेत्र में सुरक्षा के लिए एक हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए. अदालत ने इसे आदेश की अवहेलना बताते हुए राज्य सरकार से कठोर शब्दों में जवाब मांगा.

सुप्रीम कोर्ट में राज्य की अपील

तनाव बढ़ता देख तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और कहा कि मंदिर परंपराओं और अनुष्ठानों पर नियंत्रण तमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1959 के तहत राज्य सरकार के अधिकार में आता है. राज्य ने अदालत के सामने तर्क रखा कि कंटेम्प्ट के जरिए धार्मिक रीति-नीति में दखल नहीं दिया जा सकता.

अदालतों की सख्त टिप्पणी

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दीपथून पर दीप जलाने से पास की दरगाह के अधिकार प्रभावित नहीं होते. अदालत ने जिला प्रशासन द्वारा आदेश के समय पर धारा 162 के तहत जारी प्रतिबंधात्मक आदेशों को 'सोची-समझी रणनीति' कहा. अदालत ने चेतावनी दी कि यदि आदेश फिर नहीं माने गए तो 'कठोर कार्रवाई' होगी.