कोलकाता: विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर पश्चिम बंगाल में सियासत तेज होती जा रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग बंगाल में राजनीतिक मकसद से भाजपा-झुकाव वाले अधिकारियों को तैनात कर रहा है.
उन्होंने कहा कि SIR के नाम पर बंगालियों को संदेह के दायरे में लाने की कोशिश हो रही है. ममता बनर्जी ने यहां तक कहा कि उन्हें भी अब तक अपना फॉर्म भरने का मन नहीं हुआ, क्योंकि उन्हें किसी के सामने अपनी नागरिकता साबित करने की जरूरत नहीं है.
क्रिश्चननगर की रैली में ममता बनर्जी ने साफ कहा कि यदि एक भी पात्र मतदाता का नाम सूची से हटाया गया, तो वह सीधे धरने पर बैठ जाएंगी. उन्होंने आरोप लगाया कि SIR को विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. बनर्जी ने दावा किया कि यह पूरी प्रक्रिया लोगों को डराने और चयनित वर्गों को निशाने पर रखने के इरादे से चलाई जा रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग दिल्ली से अधिकारियों को भेज रहा है जिनका झुकाव स्पष्ट रूप से भाजपा की ओर है. उनके मुताबिक, इन अधिकारियों को जिलाधिकारियों की निगरानी में बैठाया गया है ताकि सुनवाई प्रक्रिया पर असर डाला जा सके. उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा लिए जा रहे फैसलों को देखकर उनमें निष्पक्षता की कमी साफ दिखती है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए चिंता का विषय है.
ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने अब तक अपना एन्यूमरेशन फॉर्म भी नहीं भरा है. उन्होंने सवाल किया कि क्या उन्हें 'दंगाइयों की पार्टी' के सामने अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गृह मंत्री बंगालियों को ‘बांग्लादेशी’ बताकर हिरासत शिविरों में भेजने की कोशिश कर रहे हैं. उनके अनुसार, बंगाल में किसी भी तरह का डिटेंशन कैंप नहीं बनने दिया जाएगा.
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में चल रहे SIR की समयसीमा बढ़ाते हुए अंतिम प्रकाशन की तिथि को 14 फरवरी 2026 कर दिया है. आयोग का कहना है कि राज्य में बड़े पैमाने पर सूची संशोधन और मतदान केंद्रों के समुचित सत्यापन की आवश्यकता है. ममता बनर्जी ने इस विस्तार को भी संदिग्ध बताते हुए कहा कि यह सब विधानसभा चुनावों से पहले माहौल को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है.
राज्य में 2026 के शुरुआती महीनों में चुनाव होने हैं, और SIR को लेकर खींचतान ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है. ममता बनर्जी का कहना है कि केंद्र सरकार और भाजपा SIR के जरिए वोटरों की संरचना को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ कदम बताया और कहा कि बंगाल के लोग किसी भी तरह की साजिश को समझते हैं और उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे.