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India Daily

20 साल बाद गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा के दर्शन को राज ठाकरे के घर पहुंचे उद्धव, विरोधियों के BMC चुनाव से पहले उड़े होश!

उद्धव और राज ठाकरे का यह पुनर्मिलन न केवल व्यक्तिगत रिश्तों की बहाली है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत भी हो सकता है. दोनों नेताओं की एकजुटता से बीएमसी चुनाव में नई रणनीतियां बन सकती हैं, जो मराठी मतदाताओं को एकजुट करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं.

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Edited By: Mayank Tiwari
 गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा के दर्शन को राज ठाकरे के घर पहुंचे उद्धव
Courtesy: x@ShivSenaUBT_

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार (27 अगस्त) को अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे के आवास ‘शिवतीर्थ’ पर गणेश पूजा में शामिल हुए. इस दौरान उद्धव ठाकरे के साथ उनकी पत्नी रश्मी और बेटे आदित्य और तेजस भी थे. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुलाकात में दोनों परिवारों ने एक साथ तस्वीरें खिंचवाईं, जो दोनों नेताओं के बीच बढ़ती नजदीकियों का प्रतीक है. दो दशकों से अधिक समय बाद ठाकरे भाइयों का यह मिलन महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बनने की अटकलों को हवा दे रहा है, खासकर तब जब 2026 में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव नजदीक हैं.

ठाकरे भाइयों का पुनर्मिलन: महाराष्ट्र में एक नया अध्याय

दरअसल, साल 2005 में राज ठाकरे द्वारा शिवसेना से अलग होकर एमएनएस बनाने के बाद दोनों चचेरे भाइयों के रिश्ते में दरार आ गई थी. हालांकि, हाल के महीनों में दोनों को कई बार एक साथ देखा गया है. जुलाई में, वर्ली में एक रैली के दौरान दोनों ने मिलकर राज्य सरकार के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने के फैसले का विरोध किया था. इस विरोध के बाद सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा.

रैली में राज ठाकरे ने कहा था, “महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है. आज, 20 साल बाद, उद्धव और मैं एक साथ आए हैं. बालासाहेब जो नहीं कर सके, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया... हमें एक करने का काम.” उद्धव ने भी साफ किया, “हम एक साथ आए हैं और साथ रहेंगे.” इस एकजुटता की गूंज तब और तेज हुई जब राज ने उद्धव के जन्मदिन पर उनके आवास ‘मातोश्री’ का दौरा किया और दोनों ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के चित्र के सामने तस्वीर खिंचवाई.

बीएमसी चुनाव और मराठी वोट बैंक

राज ठाकरे के आवास पर गणेश पूजा के दौरान एक बार फिर दोनों परिवारों की तस्वीरें चर्चा में रहीं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस का संभावित गठबंधन मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में मराठी वोट बैंक को मजबूत कर सकता है. शिवसेना का मराठी भाषी मतदाताओं के साथ गहरा नाता रहा है, और ठाकरे भाइयों का यह मिलन बीएमसी चुनाव से पहले इस समर्थन को और पुख्ता कर सकता है.