Eknath Shinde Devendra Fadnavis Meet: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के तेवर इन दिनों बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. महायुति सरकार के सामूहिक एजेंडे से उनका स्टैंड थोड़ा अलग जा रहा है. छत्रपति शिवाजी की मूर्ति जब गिरी तो उनकी पार्टी के कार्यकर्ता, मौन प्रदर्शन पर अपनी ही सरकार के खिलाफ उतर गए. अब उन्होंने एक अखबार के साथ इंटरव्यू में जो कहा है, वह सवाल उठा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में यह पार्टी महायुति सरकार का हिस्सा होगी या नहीं. कहीं ऐसा न हो कि अजित पवार, अपने पुराने महाविकास अघाड़ी गठबंधन में लौट जाएं.
डिप्टी सीएम अजित पवार ने इंडियन एक्स्प्रेस के साथ हुए इंटरव्यू में साफ कह दिया है कि वे धर्मनिरपेक्ष शासन में यकीन रखते हैं. उन्होंने कहा कि महायुति सरकार में वे इसलिए हैं कि वैचारिक अनुकूलता है. उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेगी. महायुति सरकार पर हिंदुत्वावादी का ठप्पा लगा है, जिससे अलग हटकर अजीत पवार सोचते हैं. उनकी इसी सोच को देखकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि कहीं महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से उलटफेर न होने लगे.
अजित पवार ने कहा, 'जब हमने गठबंधन पर चर्चा शुरू की तो हमने साफ कह दिया कि हमारी विचारधारा 'धर्मनिरपेक्ष' है और हम इस पर बिल्कुल भी समझौता नहीं करेंगे.' अजित पवार ने अपने इस रुख का बचाव भी किया है. उन्होंने सवाल भी किया ऐसा महाविकास अघाड़ी की सरकार में भी नहीं हुआ था.
अजित पवार ने सवाल किया, 'जब कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना के साथ सरकार में थे, तब यह धर्मनिरपेक्ष विचारधारा और प्रगतिशील विचार कहां थे?' अजित पवार का दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ गठबंधन है, जिन्हें हिंदुत्ववादी कहा जाता है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि अजित पवार, मौजूदा सरकार से थोड़े नाराज हैं.
अजित पवार, एनडीए गठबंधन से थोड़े नाराज नजर आए हैं. दरअसल 4 जून के बाद जब सरकार गठन की कवायद हुई तो उनकी पार्टी को मनचाहा मंत्रालय नहीं मिला है. यह अनबन चल ही रही थी कि एकनाथ शिंदे के लाडले मंत्री तानाजी सावंत ने कुछ ऐसा कह दिया जिस पर महायुति सरकार पर ही सवाल उठने लगे.
तनाजी सावंत, महायुति सरकार में मंत्री हैं. उन्होंने बीते गुरुवार को कहा था कि वह जब अजित पवार की एनसीपी के साथ कैबिनेट बैठकों में बैठते हैं तो उन्हें उल्टी जैसा महसूस होता है. यह बयान भी एनसीपी (अजित गुट) को रास नहीं आया है. अजित पवार गुट ने एक्शन की मांग की लेकिन कुछ ऐसा नहीं हुआ.
शुक्रवार देर रात, एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच बैठक हुई है. डिप्टी सीएम, सीएम के घर से 2 घंटे बैठक के बाहर निकले हैं. इस बैठक से जुड़ी कोई भी खबर सामने नहीं आई है लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि महायुति सरकार में कुछ तो गड़बड़ है, जिसकी वजह से ऐसी बैठक बुलानी पड़ी है. शिवसेना (शिंदे गुट) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तो दोस्ती बरकरार है लेकिन एनसीपी (अजित गुट) अलग तेवर दिखा रही है. ऐसे में महाराष्ट्र में कहीं नया खेला तो नहीं हो रहा है, इसे लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है.
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