चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा की, लेकिन महाराष्ट्र के लिए नहीं. मुंबई के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राज्य में विधानसभा चुनाव दिवाली के बाद यानी 2 नवंबर के बाद ही होने की संभावना है. महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन 26 नवंबर से पहले होना है, जिस दिन मौजूदा सरकार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है.
शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा चिंताओं को महाराष्ट्र चुनाव टाले जाने का मुख्य कारण बताया. उन्होंने यह भी कहा कि मानसून के मौसम के कारण मतदाता सूची को अपडेट करने में देरी हुई है. उन्होंने कहा कि राज्य में आने वाले समय में गणेश चतुर्थी, पितृ पक्ष और दिवाली जैसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव होने हैं, जो तत्काल चुनाव होने पर चुनावी प्रक्रिया को जटिल बना देंगे.
सत्तारूढ़ पार्टी के सूत्रों ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जन्माष्टमी और गणेश उत्सव बिना किसी बाधा के संपन्न हो. फिर पितृ पक्ष है, जब लोग अपने दिवंगत लोगों को याद करते हैं और कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है. सूत्रों ने कहा कि नवरात्रि और फिर दशहरा, जिसके बाद दिवाली होगी. उत्सव 2 नवंबर को समाप्त हो जाएगा और चुनाव प्रचार 3 नवंबर से शुरू हो सकता है.
महा विकास आघाड़ी यानी एमवीए ने राज्य में विधानसभा चुनावों में देरी को लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा. विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि नवंबर में चुनाव होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि राज्य में राजनीतिक माहौल एमवीए के पक्ष में है और इसलिए सरकार राज्य में अस्थिरता पैदा करने और चुनाव जीतने की 'साजिश' कर रही है. वडेट्टीवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान एक बड़ी दुर्घटना हुई थी, इसलिए स्थिति को सुधारने के लिए लाड़ली बहना योजना लाई गई. चुनाव को आगे बढ़ाकर राज्य में अस्थिरता पैदा की जा रही है.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव की सभी बातों के बावजूद, संपूर्ण समझौता आयोग (उर्फ चुनाव आयोग) ने सुरक्षा बलों पर प्रतिबंध को महाराष्ट्र में चुनाव न कराने का कारण बताया है, जबकि जम्मू-कश्मीर में एक साथ चुनाव कराए जा रहे हैं.