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14 बार के विधायक और सांसद लेकिन हार गए आखिरी बाजी...महाराष्ट्र के महारथी की राजनीति का दर्दनाक अंत!

महाराष्ट्र में साफ दिखाई दे रही हार के साथ ही शरद पवार ने संकेत दे दिया है कि 2026 में राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे. अगर 83 वर्षीय शरद पवार अपनी इस योजना के साथ आगे बढ़ते हैं तो यह उनके शानदार करियर का सबसे दुखद अंत होगा.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Sharad Pawar

Maharashtra News: महाराष्ट्र में प्रचंड बहुमत के साथ महायुति की सरकार बनती दिखाई दे रही है. महायुति की प्रचंड जीत के साथ ही महाराष्ट्र में शरद पवार के शानदार करियार का बेहद दर्दनाक अंत होता दिख रहा है. साफ दिखाई दे रही हार के साथ ही शरद पवार ने संकेत दे दिया है कि 2026 में राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे. अगर 83 वर्षीय शरद पवार अपनी इस योजना के साथ आगे बढ़ते हैं तो यह उनके शानदार करियर का सबसे दुखद अंत होगा.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती जारी है और राज्य में एक बार फिर से महायुति की सरकार प्रचंड बहुमत के साथ बनती दिख रही है. दोपहर डेढ़ बजे तक राज्य की 288 सीटों में से एनसीपी का शरद पवार गुट जो 87 सीटों पर लड़ा था वह केवल 12 (13.79% स्ट्राइक रेट) सीटों पर ही आगे था. जो कि दिग्गज नेता पवार का अब तक का सबसे खराब स्ट्राइक रेट है.  जबकि 6 महीने पहले हुए लोकसभा के चुनावों में शरद पवार की पार्टी का स्ट्राइक रेट 80% था.

पवार के शानदार करियर का दुखद अंत
इस बार के महाराष्ट्र चुनाव को शरद पवार और अजित पवार यानी चाचा भतीजे की साख के तौर पर भी देखा जा रहा था जिसमें अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से कहीं आगे निकलते दिखाई दे रहे है. शरद पवार की पार्टी अजित पवार गुट से 27 सीटें पीछे है.  

पिछले साल एनसीपी में विभाजन के बाद पवारों का पहला मुकाबला लोकसभा चुनाव में हुआ था जिसमें शरद पवार गुट ने निर्णायक जीत हासिल की थी जिसके बाद शरद पवार गुट ने एनसीपी होने का दावा किया था लेकिन विधानसभा के चुनाव में पूरी बाजी पलट गई है और अजित पवार गुट विजेता बनकर उभरने वाला है.

2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अविभाजित एनसीपी ने 54 सीटें जीती थी जो उसकी सहयोगी कांग्रेस से ज्यादा थीं जो केवल 44 सीटें जीतने में सफल रही थी लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं और शरद पवार की पार्टी को राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों में सबसे कम सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं.

शरद पवार का राजनीतिक सफर
शरद पवार लगभग 6 दशकों से राजनीति में हैं, वह चार बार महाराष्ट्र के सीएम रहे. यही नहीं वह 1978 में मात्र 38 साल की उम्र में इस पद को संभालने वाले सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने. 

केंद्रीय मंत्रीमंडल में भी उन्होंने रक्षा, कृषि सहित विभिन्न विभागों को संभाला. 1991 में उन्होंने पीएम पद के लिए चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें पीवी नरसिम्हा राव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

1999 में कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद पवार ने एनसीपी का गठन किया और महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान कायम किया. इसके बाद वो कांग्रेस के नेतृत्व वाली   यूपीए सरकार में शामिल हुए और 10 साल तक कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया.
 
पार्टी लाइन से परे संबंधों के लिए पहचाने जाने वाले शरद पवार 2019 में महा विकास अघाड़ी के वास्तुकार भी बने और उन्होंने कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का एक अप्रत्याशित गठबंधन बनाया. यह वही शिवसेना थी जो कभी बीजेपी के नेतृ्त्व वाले एनडीए की सदस्य हुआ करती थी. अधिकांश विशेषज्ञों का मानना था कि महा विकास अघाड़ी लंबे समय तक नहीं टिकेगी लेकिन यह गठबंधन महाराष्ट्र में अपनी सरकार के गिरने और शिवसेना और एनसीपी के लगातार विभाजन के बाद भी कायम रहा.

इस महीने की शुरुआत में शरद पवार ने अपने गढ़ बारामती में  लोगों से कहा था कि वह इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं. पवार बारामती से 14 बार विधायक और सांसद रह चुके हैं. उन्होंने कहा था, 'मैं सत्ता में नहीं हूं और राज्यसभा में मेरा कार्यकाल डेढ़ साल बचा है. इसके बाद मैं भविष्य में कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा. मुझे कहीं न कहीं रुकना ही पड़ेगा.'