menu-icon
India Daily

स्वतंत्रता दिवस पर मीट की दुकानों को बंद करने के खिलाफ अजित पवार? महायुति में रहकर भी अपनाया अलग रुख!

महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुछ नगर पालिकाओं ने मीट की दुकानें बंद करने का आदेश जारी किया है. इस फैसले से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख अजित पवार नाराज दिखाई दे रहे हैं. महायुति गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद, अजित पवार ने इस मुद्दे पर अलग रुख अपनाया है.

auth-image
Edited By: Antima Pal
Maharashtra Ajit Pawar News
Courtesy: social media

Maharashtra Ajit Pawar News: महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुछ नगर पालिकाओं ने मीट की दुकानें बंद करने का आदेश जारी किया है. इस फैसले से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख अजित पवार नाराज दिखाई दे रहे हैं. महायुति गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद, अजित पवार ने इस मुद्दे पर अलग रुख अपनाया है. हाल ही में उन्होंने कुरैशी समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की, जहां समुदाय ने गौरक्षकों द्वारा कथित उत्पीड़न की शिकायत की. इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को एक आदेश जारी किया.

इस आदेश में कहा गया है कि अवैध पशु परिवहन के खिलाफ कार्रवाई केवल पुलिस या अधिकृत अधिकारी ही कर सकते हैं. निजी व्यक्तियों को व्यापारियों को रोकने, उनकी जांच करने या उन पर हमला करने का कोई अधिकार नहीं है. इस आदेश का मकसद गौरक्षकों की ओर से व्यापारियों के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकना है. अजित पवार के इस कदम से साफ है कि वह कुरैशी समुदाय के हितों का समर्थन कर रहे हैं और मीट की दुकानों पर बंदी जैसे फैसलों के खिलाफ हैं.

स्वतंत्रता दिवस पर मीट की दुकानों को बंद करने के खिलाफ अजित पवार?

महायुति गठबंधन में शामिल होने के बावजूद, अजित पवार अपने इस कदम से खुद को सेकुलर साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. उनके इस रुख से गठबंधन के भीतर मतभेद की चर्चा तेज हो गई है. कुछ लोग इसे उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं, जिसमें वह सभी समुदायों का समर्थन हासिल करना चाहते हैं. दूसरी ओर, कुरैशी समुदाय ने अजित पवार के इस कदम का स्वागत किया है और इसे अपने व्यापार और आजीविका की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया है.

महायुति में रहकर भी अपनाया अलग रुख! 

इस पूरे घटनाक्रम से महाराष्ट्र की सियासत में नया मोड़ आ सकता है. अजित पवार का यह कदम न केवल गठबंधन की एकता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वह सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर संतुलित रुख अपनाने की कोशिश कर रहे हैं.