केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार (8 जून) को मदुरै में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तमिल को भारत की सबसे महान भाषाओं में से एक बताया. उन्होंने तमिल में अपनी बात न रख पाने के लिए माफी मांगी. शाह ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा, “मैं तमिलनाडु के पार्टी कार्यकर्ताओं से माफी मांगता हूं क्योंकि मैं भारत की सबसे महान भाषाओं में से एक, तमिल में उनसे बात नहीं कर सकता.”
2026 में एनडीए की जीत का दावा
जनसभा को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने बीजेपी-एआईएडीएमके गठबंधन की ताकत पर जोर देते हुए दावा किया कि 2026 के विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके को हराकर एनडीए की सरकार बनेगी. उन्होंने कहा, “2026 में यहां बीजेपी-एआईएडीएमके गठबंधन की एनडीए सरकार बनेगी. मैं दिल्ली में रहता हूं, लेकिन मेरे कान हमेशा तमिलनाडु पर रहते हैं. एमके स्टालिन कहते हैं कि अमित शाह डीएमके को नहीं हरा सकते. वे सही हैं. मैं नहीं, बल्कि तमिलनाडु की जनता आपको हराएगी.”
भाषा विवाद और राष्ट्रीय शिक्षा नीति
अमित लशाह का यह बयान तमिलनाडु में भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है. डीएमके सरकार ने केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में प्रस्तावित त्रि-भाषा फॉर्मूले को हिंदी थोपने का आरोप लगाया है. मार्च 2025 में केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह फंड रोककर ब्लैकमेल कर रहा है. स्टालिन ने कहा कि केंद्र एक और भाषा युद्ध के बीज बो रहा है, और तमिलनाडु इसके लिए तैयार है.
जबकि, दूसरी ओर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति “भाषाई स्वतंत्रता के सिद्धांत को कायम रखती है” और “किसी भी भाषा को राज्यों पर थोपती नहीं है.” उन्होंने स्टालिन से शिक्षा को राजनीति से दूर रखने और मतभेदों से ऊपर उठने की अपील की.
तमिलनाडु में भाषा का संवेदनशील मुद्दा
तमिलनाडु में भाषा लंबे समय से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है. 1960 के दशक में हिंदी विरोधी आंदोलनों ने राज्य को हिला दिया था. अमित शाह का यह बयान तमिलनाडु की सियासत में नई हलचल पैदा कर सकता है.