नई दिल्ली: गुजरते वक्त के साथ अयोध्या राममय होने लगा है. घंटे-घड़ियालों का गूंज, राम संकीर्तन की धुन, सरयू नदी की कल-कल, छल-छल बहती जलधाराएं, संतों का निनाद मानों रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की पुकार कर रहा है. अयोध्या की पौराणिक पहचान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की अमिट अस्मिता और गौरवशाली परंपरा से जुड़ा हुआ है.
अयोध्या के जर्रे- जर्रे में मर्यादाओं से बंधे भगवान राम का साक्षात दर्शन होता है. हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान राम को आनंद सुखरासी कहा गया है. ऐसे में जब राम मंदिर निर्माण अपने नव्य, दिव्य और भव्य स्वरूप में आकार ले रहा है तो हर एक भारतीय और रामभक्त की अंतरात्मा गौरव बोध से आनंदित हो जाती है. कई दशकों से जिस शुभ घड़ी का इंतजार था, उस अविस्मरणीय पल का गवाह करोड़ों-करोड़ों भारतीय अब बनने जा रहे हैं. भारतीयता और सनातन के प्राणतत्व माने जाने वाले भगवान राम अब गर्भगृह में विराजेंगे.
अयोध्या राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "मैं आपको सटीक तारीख नहीं बता पाऊंगा कि राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पीएम किस तारीख को अयोध्या आने वाले है. पीएम मोदी का अयोध्या आने का क्रार्यक्रम प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से घोषित तारीख पर निर्भर करेगा. जो अभी तय नहीं किया गया है. हमारी कोशिश यह है कि तीर्थयात्री 26 जनवरी से पहले निश्चित रूप से भगवान राम के बाल रूप के दर्शन कर सकें"
श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम का लाइव प्रसारण सभी गांवों और नगरों में होगा. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के 10 दिन पहले से सभी जगहों पर राम नाम संकीर्तन शुरू किया जाएगा. 5 लाख से अधिक मंदिरों में राम नाम संकीर्तन शुरू कराया जाएगा और इसमें सिख, जैन समेत सभी धर्मों के धर्मावलंबियों को जोड़े जाने की योजना है. कार्यक्रम के बाद मौजूद लोगों को तो प्रसाद दिया ही जाएगा साथ ही घर-घर प्रसाद भी बांटने की योजना भी है. इसके लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से तमाम तैयारियां को मुकम्मल रुप दिया जा रहा है.
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