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Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा के बारे में क्या बताते हैं विधानसभा चुनाव के नतीजे, आंकड़ों में समझें पूरा समीकरण

Lok Sabha Elections 2024: देशभर में लोकसभा चुनावों के लिए चुनावी रण तैयार हो चुका है. सभी पार्टियां अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही हैं. ऐसे में जरा जानिए ये राजनीतिक और रणनीतिक आंकड़ा.

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Lok Sabha Elections 2024: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानी भारत में चुनावी मैदान तैयार है. चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान भी हो चुका है. राष्ट्रीय से लेकर क्षेत्रीय पार्टियां जोड़तोड़ में लग गई हैं. ऐसे में एक बेहद खास बात ये है कि लोकसभा के बारे में पता लगाने से पहले विधानसभा चुनावों के नतीजों की खास स्टडी की जाती है. 

क्रिकेट की भाषा में बात करें तो कह सकते हैं कि खिलाड़ी को टेस्ट मैच में खिलाने से पहले वनडे-टी20 में मौका देकर उसकी परख की जाती है. ऐसे ही लोकसभा चुनाव से पहले पार्टियों राज्यों में अपना स्तर जांचती हैं. 

देशभर में विधानसभा सीटों की स्थिति

2019 से अब तक पांच वर्षों में भाजपा ने सभी विधानसभा सीटों में से एक तिहाई (4,032 में से 1,455) पर जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस ने 684 पर जीत हासिल की है. अन्य दलों ने करीब आधी सीटों पर जीत पाई है. इनमें से कई अन्य पार्टियां दो सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों में से किसी एक के साथ गठबंधन में हैं. इनमें से कई गठबंधन इन पांच वर्षों के दौरान बदल गए हैं. 

इस तुलना में एनडीए का पलड़ा भारी है, लेकिन दोनों प्रमुख दलों के बीच अंतर काफी कम है. भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 1,893 विधानसभा सीटों यानी कुल का करीब 47% जीता है, जबकि इंडिया ब्लॉक ने 1,598 यानी करीब 40% जीते हैं. आंध्र प्रदेश और ओडिशा दो प्रमुख राज्य हैं, जिनमें वर्तमान में दोनों राष्ट्रीय गठबंधनों से बाहर की पार्टियों का प्रभाव था. 

पिछले साल चार राज्यों के चुनाव को भी जानें

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार इस राजनीतिक विश्लेषण में 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हुए सभी विधानसभा चुनावों और पिछले साल दिसंबर में चार राज्यों के चुनावों को ध्यान में रखा है. इसलिए इसमें हर राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव को भी देखा गया है.

सबसे पहले जिन राज्यों में मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच था, वहां अक्सर भाजपा ही जीती. हालांकि अपवाद के रूप में कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश हैं. हरियाणा में भी बीजेपी के लिए निर्णायक फैसला नहीं आया.

दूसरा, जहां यह मुख्य रूप से भाजपा और एक क्षेत्रीय पार्टी के बीच लड़ाई थी, वहां भाजपा के लिए राह मुश्किल रही. ऐसे राज्य पश्चिम बंगाल, दिल्ली, झारखंड और ओडिशा हैं, जहां भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. हालांकि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सपा के खिलाफ जीत काफी शानदार रही. बिहार की बात करें तो एनडीए की जीत कह सकते हैं. 

इन रुझानों का लोकसभा चुनाव पर क्या असर होगा? 

इन रुझानों का विधानसभा चुनावों से लोकसभा चुनाव में बदलना नहीं मान सकते. सामान्य तौर और पिछले अनुभवों से पता चलता है कि यह भ्रामक होगा. राष्ट्रीय दल लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जबकि क्षेत्रीय दलों का लोकसभा चुनाव में उतना प्रभाव नहीं होता, जितना विधानसभा चुनावों में स्पष्ट दिखाई देता है. 

अगर इस लोकसभा चुनाव और पिछले कुछ विधानसभा चुनावों पर गौर करें तो आप पाएंगे की भीजपा की जीत में एक बड़ा अंतर मोदी फैक्टर रहा है. यहां स्पष्ट तौर पर देखा गया है कि सीएम का चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा गया है.